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झारखंड: आदिवासियों ही नहीं, सरकारी कर्मियों के भी गुस्से का शिकार बनी बीजेपी

झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी हार का मुंह देखना पड़ा है. बीजेपी को आदिवासी समुदाय और आम मतदाताओं के अलावा सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी भी झेलनी पड़ी है. इसी का नतीजा है कि बीजेपी को EVM के साथ-साथ बैलेट पेपर की वोटिंग में भी झटका लगा.

  • झारखंड में बीजेपी को मिलीं 25 सीटें
  • पोस्टल बैलेट में भी हार गई बीजेपी

झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी हार का मुंह देखना पड़ा है. बीजेपी को आदिवासी समुदाय और आम मतदाताओं के अलावा सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी भी झेलनी पड़ी है. इसी का नतीजा है कि बीजेपी को EVM के साथ-साथ पोस्टल बैलेट पेपर के द्वारा की गई वोटिंग में भी झटका लगा है. बीजेपी को 2014 में बैलेट पेपर में 54 सीटों पर बढ़त मिली थी तो 2019 में महज 12 विधानसभा सीटों पर ही बढ़त मिली.

चुनाव नियमों में संशोधन किए जाने बाद इस बार 80 साल से अधिक उम्र के लोगों को पोस्टल बैलेट से वोट डालने की सुविधा दी गई थी, लेकिन इस सुविधा का मुख्यरूप से प्रयोग चुनावी ड्यूटी में लगे कर्मी ही करते हैं. झारखंड विधानसभा चुनाव में इस बार शिक्षक, पारा-शिक्षक, पुलिसकर्मी और कई विभाग के  सरकारी कर्मचारियों को लगाया गया. इन सारे लोगों ने चुनाव में अपने मताधिकार के लिए पोस्टल बैलेट का इस्तेमाल किया था.

12 सीटों पर ही मिली बढ़त

बीजेपी ने झारखंड की कुल 81 विधानसभा सीटों में से 79 सीटों पर प्रत्याशी उतारा था. इनमें से बीजेपी को महज 12 सीटों पर ही पोस्टल बैलेट में बढ़त मिली है. इनमें कोडरमा, हजारीबाग, सिमरिया, चतरा , मांडर, सिसई, लोहरदगा, रांची, कांके, हटिया, धनबाद और बोकारो विधानसभा सीटें शामिल रही हैं. इनमें से चार सीटें ऐसी हैं, जिसे बीजेपी पूरी तरह से हार गई है. इनमें चतरा, मांडर, सिसई और लोहरदगा सीट है.

2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 72 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिनमें से 54 सीटों पर पोस्टल बैलेट में बढ़त मिली थी और महज 18 सीटों पर हार हुई थी. इस बार बीजेपी का दांव पूरी तरह से उलटा पड़ा है. 2019 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के घटक दल जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी ने पोस्टल बैलेट के वोटों की गिनती में 56 विधानसभा क्षेत्रों में आगे थे जिनमें 47 सीटें जीत दर्ज किया है.