समाज का पारंपरिक समन्वय को बरकरार रखने की मिसाल…
उज्जैन खोजेमा /बोहरा समाज के यहां टिफिन से मिलता है एकता का संदेश फेज-उल मवाइद-अल बुरहानिया यानी मौला की थाली में बरकत बोहरा समुदाय की ओर से बरकत के इसी भाव से शुरू की इस योजना ने समाज के हर व्यक्ति को समानता व एकरूपता दे दी है। यहां ना कोई अमीर है, ना कोई गरीब है। सबके लिए एक सा भोजन भाईचारे की भावना को और ज्यादा मजबूत कर रहा है। खुज़ेमा चांदा भाई वाला ने बताया कि दाऊदी बोहरा समुदाय के 52वें धर्मगुरू डा. सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन(र अ) साहब ने वर्ष 2011 में फेज-उल मवाइद-अल बुरहानिया योजना को शुरू किया था। इसका प्रमुख ध्येय था विश्वभर में निवासरत दाऊदी बोहरा समुदाय का कोई व्यक्ति भुखा नहीं रहे। ईस कार्य के लिए समाज की फेज-उल-मवाईद कमेटी है। वहीं, इसका समस्त प्रबंधन कर रही है। समाज को मुम्बई से भी सहयोग प्राप्त हो रहा है। स्थानीय लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार समय-समय पर इस कार्य में अपना आर्थिक सहयोग भी देते है। उज्जैन मे भोजन समाज के हर घर तक पहुंचाया जा रहा है। समुदाय के महिला-पुरूष कर रहे सहयोग। उज्जैन शहर में भोजन बनाने का कार्य प्रमुख 6 जगा पर परिसर स्थित रसोईघर में किया जा रहा है। यहां सुबह आठ बजे से ही कमेटी के सदस्य तथा समाज की महिलाएं अपने कार्य पर लग जाती है। गुरुवार सुबह सैफी मोहल्ला आमिल सहब के अगुवाई में बुरहानी गार्ड व समाज की महिला-पुरूष ने आटा गुथने से रोटी बेलने व पकाने का कार्य किया। यहां कार्य करने आने वाली महिलाओं का कहना था कि इस कार्य से उन्हें आत्मसंतुष्टि प्राप्त होती है। यह कार्य समाज का है तथा हम भी समाज का ही अभिन्न अंग हैं। भोजन की गुणवत्ता का भी पूरी तरह ख्याल रखा जाता है। सैयदना साहब के सख्त आदेश हैं, भोजन बनाने की जगह पर किसी तरह की गंदगी न हो। भोजन भी ऐसा बने कि लोगों का अपने घर के खाने जैसा ही स्वाद मिले।
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