डॉ. शिव शर्मा हास्य के पुरोधा होकर एक जीवंत किवदंती रहे- सज्जन वर्मा
उज्जैन। डॉ. शिव शर्मा हास्य के पुरोधा होकर एक जीवंत किवदंती रहे और जीवन भर सबको हंसाते रहे और आज शिव जी को याद करते हुए शब्द, निशब्द हो गए हैं। टेपा सम्मेलन को देखकर कई आयोजन अन्य शहरों में होने लगे यही इस कार्यक्रम की सफलता है। ये विचार कालिदास अकादमी में ‘डॉ. शिव शर्मा स्मृति प्रसंगÓ में मुख्य अतिथि के रूप में केबिनेट मंत्री श्री सज्जनसिंह वर्मा ने व्यक्त किये।
अध्यक्षीय उद्धबोधन में डॉ. मोहन गुप्त ने कहा कि शिव जी के व्यक्तित्व से मिलकर सब अत्यंत प्रफुल्लित हो उठते थे। जब तक आप उनके साथ हैं आप मायूस नहीं हो सकते। सनातन धर्म में सब सत्य के पक्षधर होते हैं और शिव जी भी सत्य के अनुयायी थे और शिव शर्मा जी में एक निश्छल प्रेम था। स्मृति प्रसंग में बोलते हुए डॉ. पिलकेन्द्र अरोरा ने कहा कि शिव शर्मा जी ने टेपा सम्मेलन के माध्यम से मालवावासियों को ठहाका लगाना सिखाया। संघर्ष, साहस, समर्पण और जादुई व्यक्तित्व के पर्याय थे डॉ. शिव शर्मा। टेपा सम्मेलन में देश के श्रेष्ठ कवि, अभिनेता, सम्पादक, व्यंग्यकार, टीवी फ़िल्म कलाकार टेपा में आते रहे। पिलकेन्द्र अरोरा ने मुक्ताकाशी मंच का नाम डॉ. शिव शर्मा के नाम पर करने और उनके नाम से व्यंग्य के शोध के लिए एक सृजनपीठ की स्थापना की मांग की। शब्दांजली देते हुए प्रो. शिव चौरसिया ने कहा कि शिव शर्मा जी के व्यंग्य में तीखापन था मगर उनमें मालवा की माटी की मिठास थी। समाज की विडम्बनाओं, विद्रुपताओं पर उन्होंने तीखे व्यंग्य किये। लगातार पचास साल तक चलने वाला आयोजन है टेपा सम्मलेन। वे खुद अपने पर व्यंग्य कर सकते थे इसलिए बड़े व्यंग्यकार कहलाये। स्मृति प्रसंग में डॉ. शिव शर्मा जी की कहानी पर आधारित एकल नाट्य की प्रस्तुति ‘कथा टेलर्सÓ, जयपुर द्वारा दी गई। अभिनय और निर्देशन महमूद अली ने किया। परिकल्पना शैल जोशी और नाट्य रूपांतर ख्यात कार्टूनिस्ट डॉ. देवेन्द्र ने किया।
शिव शर्मा जी के चित्र पर अतिथियों द्वारा माल्यार्पण और दीप आलोकन से स्मृति प्रसंग का शुभारंभ हुआ। अतिथि स्वागत ओम अमरनाथ, नरेंद्र शर्मा ने किया। संचालन दिनेश दिग्गज ने और आभार डॉ. हरीशकुमार सिंह ने व्यक्त किया।