आज हमारे समाज को सबसे महती आवश्यकता एकता की है। एकता को ही आधार मानकर आपके सम्मुख अपनी लेखनी के विचार प्रस्तुत करता हूँ।
सभी क्षत्रिय और क्षत्राणियों को हमारा सादर प्रणाम
मानव एक सामजिक प्राणी है उसे समाज की आवश्यकता हर कदम पर पड़ती है। बिना समाज के मानव का संगठन टूटने से वह अकेला हो जाता है, और अकेला इन्सान अपना आत्मनियंत्रण और आत्मविश्वास खो देता है, और ये दोनों ही खोना असफलता की और ले जाने का पहला कदम है। आज हमारे समाज से एकता बिलकुल समाप्त हो गयी है। समाज के युवा एक दूसरे की टांग खींचने में लगे रहते हैं। भाई भाई के बीच में दरार पड़ गयी है। हमने अपने महापुरुषों को भुला दिया है, जिससे हमारी संस्कृति और समाज का पतन हो रहा है।
जिस समय इस्लाम का उदय हुआ उस समय इस्लाम के पैरोकारों ने आधी दुनियां पर कब्जा करके इस्लाम के झण्डे गाड़ दिए विश्व की तमाम संस्कृति एवं सभ्यताएं नष्ट हो गईं। लेकिन जब 600 ई0 के लगभग इन्होंने भारत भूमि पर अपना कदम बढ़ाया तो बाप्पा रावल एवं नागभट्ट प्रतिहार जैसे वीरों ने इनकी सेना को खत्म कर दिया और कई दशकों तक ये भारत भूमि की तरफ आँख उठाकर नहीं देख पाए। जैसे ही पुनः इन्होंने कोशिस की तो मिहिरभोज प्रतिहार जैसे पराक्रमी सम्राटों से पाला पड़ा जो इस्लाम का सबसे बड़ा शत्रु था। जिसने इनको मारा एवं भारत भूमि से खदेड़ा। ऐसे वीर पराक्रमी क्षत्रिय राजपूत सम्राटों एवं राजाओं की एकता के कारण इस्लाम के द्वारा छटी शताब्दी से किये गए इस्लाम स्थापित करने के प्रयास पृथ्वी राज चौहान महाराणा प्रताप जैसे योद्धाओं के काल तक चलते रहे लेकिन सफलता प्राप्त नहीं कर पाए। महाराणा प्रताप जैसे अजेय योद्धा ने कभी अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की। आप सोचो अगर महाराणा प्रताप के जैसे सभी योद्धा होते और हमारी एकता बनी रहती तो क्या इस्लाम इस देश मे होता। अकेला क्षत्रिय योद्धा लड़ता रहा क्या उस समय हिन्दू कोम की कोई जबाबदारी नहीं थी। उसके बाद भी संघर्ष चलते रहे। और धीरे धीरे जो हमारी एकता थी कम होती गई। अपनी एकता के ख़त्म होने के कारण ही हमने अपने राजपाठ खो दिए, अगर हमारे समाज में एकता होती तो कभी किसी मुग़ल की इतनी औकात नहीं थी जो कभी हमारी मात्रभूमि पर अपने नापाक कदम रख पाता। पहले का समय और था क्योंकि उस समय राजपूत समाज आर्थिक रूप से मजबूत था तथा राजपूत समाज की इज्जत व सम्मान था।लेकिन आज के समय में राजपूत एकता बहुत जरुरी हो गयी है। राजपूत समाज में अधिकतर परिवारों की आर्थिक स्तिथि कमजोर है और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रहना पड़ रहा है। आज समय की मांग है कि हम राजपूत एक छत्र के नीचे आकर अपने समाज के हित की लड़ाई लड़े और समाज को उसका वो ही स्वाभिमान और सम्मान वापस लाकर दें। जिसकी वजह से हमारा समाज सम्पूर्ण विश्व में एक विशेष सम्मान प्राप्त करता है। आज समाज को एक शसक्त एवं एकता स्थापित करने वाले संगठन की आवश्यकता है क्योंकि एकता मै ही अद्भुत शक्ति है। जैसे पतले तिनको से बनी रस्सियों से मदमस्त हाथी को भी बाँधा जा सकता है उसी तरह की अद्भुत शक्ति विचारो मै होनी चाहिए जो समाज को एकता के सूत्र मै बांध सके। सत्य भी है एक अकेला आदमी एकता का नारा लगाता लगाता अकेला ही रह जाता है। वही बात को बड़ा समुदाय मिलकर बोले तो असर तुरन्त होता है।
इसलिए धरती की सुरक्षा के लिए,मानव जाती की रक्षा के लिए, धर्म की लाज रखने के लिए, समाज को उसका सही हक़ दिलाने के लिए हम सबको एक जुट हो जाने में ही फायदा है।
आवश्यकता है अपने विचारो मै थोडा परिवर्तन लाने की मानवता को समझने की धर्म की रक्षा के लिए अपने अहंकार को छोड़ने की और समाज के सभी भाई व बहनों को एक जुट करके समाज को विकसित करने की। समृधि,ख्याति,प्रसिद्धी और उन्नति का जटिल मार्ग भी उनके लिए सरल हो जाता है जो सहृदय से विवेकपूर्ण तरीके से प्रबल इच्छा शक्ति आत्मविश्वास और एकाग्रता से प्रेम और शांति से सच्चाई के रास्ते पर अग्रसर होते हैं। इसलिए हमें पूरे आत्मविश्वास के साथ अब समाज को एकजुट करने के कार्य में लग जाना चाहिए और समाज को वापस उसी स्तर पर ले जाना चाहिए जो हमारे इतिहास में दर्ज है।
आशा करता हूँ आपको मेरी बात समझ में आई होगी और आप भी समाज के हित के लिए एकजुट होने का कार्य करेंगे। जिस दिन हमारा समाज एक हो गया उसदिन मेरा लिखा हुआ लेख सफल हो जायेगा।
जय भवानी जय क्षात्र धर्म
शिवसिंह परिहार
राष्ट्रीय संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा