राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने आरसीईपी मुक्त व्यापार समझौते के विरोध में दिया ज्ञापन
उज्जैन। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने शुक्रवार को कलेक्टर को एक ज्ञापन देते हुए केन्द्र सरकार द्वारा आरसीईपी मुक्त व्यापार समझौते लागू न करने की मांग की। महासंघ के संभागीय उपाध्यक्ष मानसिंह कोठारी, जिला संरक्षक खड़गसिंह व जिला अध्यक्ष प्रहलाद पटेल के नेतृत्व में सैंकड़ों कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व प्रदेश के मुखिया कमलनाथ के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि केन्द्र सरकार आर.सी.ई.पी. मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने का निर्णय ले चुकी है। समझौते के तहत आसियान के 10 देशों, चीन, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया और जापान से आयात किये जाने वाले कृषि एवं दूध उत्पादों पर आयात शुल्क खत्म किया जाएगा। इससे देश के किसानों के सामने आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। वर्तमान में देश का किसान अपना अनाज व अन्य उत्पाद औने पौने दामों पर बेचता आया है। अगर यह समझौता लागू हुआ तो देश के किसानों की स्थिति और दयनीय हो जाएगी। बड़े बंगलों व ए.सी. कार्यालयों में बैठने वाले बुद्धिजीवियों का मानना है कि इस समझौते से हमारे किसानों को भी फायदा होगा, लेकिन यह तर्क किसी को भी गले नहीं उतर रहा है। हमारे देश ने अब तक 14 मुक्त व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किए है जिसके दुष्परिणाम अभी भी किसान ही झेल रहे हैं। महासंघ के जिलाध्यक्ष श्री पटेल ने बताया कि भारत के किसानों की तुलना विदेश के किसानों से नहीं की जा सकती क्योकि हमारे यहाँ कृषि भूमि का क्षेत्रफल व आबादी में जमीन आसमान का फर्क है। अन्य देशों की सरकारें किसानों को बड़ी मात्रा में किसानों को राहत देती है। हमारे देश के किसानों को फसलों का वाजिब दाम भी नहीं मिल पाता। ऐसे में आर.सी.ई.पी. मुक्त व्यापार समझौते के अनेक दुष्परिणाम हमारे किसानों को झेलने पड़ेंगे। ज्ञापन के माध्यम से सैंकड़ों किसानों ने कलेक्टर के समक्ष मांग की कि इस तरह के किसी भी समझौते से किसानों का भला नहीं होने वाला। किसानों की भलाई के लिए इस समझौते पर केन्द्र सरकार हस्ताक्षर न करें।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम दिए ज्ञापन में महासंघ ने मांग की है कि प्रदेश सरकार द्वारा की गई ऋण माफी योजना से प्रदेश के कई किसान वंचित है। वादे के अनुसार दो लाख का कर्ज तत्काल माफ किया जाए। किसानों ने मांग की कि बीमा कंपनी को सरकार द्वारा दिया जाने वाला अंश अतिशीघ्र जमा करवाया जावें ताकि किसानों को बीमा कंपनी द्वारा बीमा राशि का भुगतान हो सके। कृषि उपज मंडियों में नकद भुगतान व्यवस्था करते हुए किसानों की उपज समर्थन मूल्य से कम पर नहीं बेची जावें। यदि ऐसा होता है तो संबंधित पर मंडी अधिनियम के तहत दण्डनीय कार्यवाही की जावे।
पदाधिकारियों ने इस अवसर पर कहा कि अगर केन्द्र व राज्य सरकारें हमारी मांगों नहीं मानती है तो आने वाले महीनों में किसान महासंघ उग्र आंदोलन करने पर बाध्य होगा। इस अवसर पर संरक्षक शेरसिंह तोमर, इंदरसिंह सेमलिया, मनोहरसिंह, विनोद खोड़ीवाल, राहुल यादव, भारतसिंह आंजना, रजत आंजना, नारायण सिंह आंजना, गोविंद परमार, विजय नायक, वचन चौधरी, संदीप आंजना, शुभम भाटी, कमल आंजना, ईश्वरसिंह डोडिया, लखन आंजना, कमलसिंह, महेश पटेल, अर्जुन पटेल आदि सहित सैंकड़ों किसान नेता उपस्थित थे।