रात 12 बजे तक चली भजन संध्या फिर हुई आरती
सारंगपुर।(नवीन रुण्डवाल) प्रचीन परम्परा एवं सनातन धर्म के अनुसार वर्ष में अनेक त्यौहार आते है जिनमे शरद पूर्णिमा का अलग ही महत्व है। इस रात्रि को खुले मैदान में चंद्रमा की रौशनी में बनाई जाने वाली खीर का वितरण किया जाता है मान्यता यह है कि पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा के प्रकाश से अमृत की वर्षा होती है यही कारण है कि खुले मैदान में खीर बनाई जाती है तथा भजन किर्तन के बाद रात्रि 12 बजे मंदिरों में आरती संम्पन होने के साथ ही अमृत खीर का वितरण प्रराम्भ होता है।रविवार को शरद पूर्णिमा के अवसर पर नगर के कपिलेश्वर महादेव,खेड़ापति हनुमान,अम्बे माता,राधा कृष्ण मंदिर,दुर्गा मंदिर तहसील प्रांगण सहित अन्य मंदिरों में खीर का भोग लगाया गया।देर रात तक श्रद्धालु प्रसाद के लिए इस मंदिर से उस मंदिर जाते दिखे।अमृत खीर के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है।शरद पूर्णिमा से शरद ऋतु प्रारम्भ होती है शरद ऋतु में होने वाली बीमारियों से बचने के लिए खीर का सेवन गुणकारी होता है।