जब HC के जजों पर भड़क गए सुप्रीम कोर्ट के जज, कहा- उन्हें बताइये वो भी इस देश का हिस्सा हैं
(देवराज सिंह चौहान) नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को केरल (Kerala) के एर्नाकुलम में समंदर तट के किनारे बने करीब 400 फ्लैट्स को गिराए जाने का अहम आदेश देते हुए न केवल केरल सरकार पर सख्त टिप्पणी की, बल्कि केरल हाईकोर्ट के जजों पर भी नाराजगी व्यक्त की. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा ने केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) के जजों के लिए कहा कि उन्हें बताइये कि वो भी इस देश का हिस्सा हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने का हाईकोर्ट के जज कोई अधिकार नहीं है.
दरअसल, जस्टिस अरुण की यह तल्ख टिप्पणी इस केस में तब सामने आई, जब उन्हें इसको लेकर मई में दिए गए आदेश पर अमल न होने की जानकारी मिली. इस पर जस्टिस मिश्रा ने नाराजगी जताई और राज्य के चीफ सेकेट्ररी को 23 सितंबर को कोर्ट में पेश होने के लिए समन जारी कर दिया.केरल सरकार के रवैये से बेहद नाराज जस्टिस अरुण मिश्रा ने स्टैंडिंग काउंसिल से कहा कि ‘केरल कानून से ऊपर नहीं है. अपने राज्य से कहिए कि क़ानून का पालन करे’.
उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी की राय जानने के बाद मई में कोस्टल रेग्युलेशन जोन के नियमों की अनदेखी कर बनाई गई इन बिल्डिंग को गिराने का आदेश दिया था. केरल के जजों को बताइये कि वो भी इस देश का हिस्सा हैं. हमारे फैसले को पटलने का हाईकोर्ट के जज को कोई अधिकार नहीं है. ये न्यायिक अनुशासनहीनता की इंतिहा है.
जस्टिस अरुण मिश्रा ने ये सख्त टिप्पणी मलंकारा चर्च से जुड़े मामले में केरल हाईकोर्ट के जज द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विपरीत आदेश पास करने के लिए की.