” भगवद गीता” के पवित्र सन्देश को शैक्षिणिक संस्थानों के पाठ्यक्रम में शामिल करने की कार्यवाही करने हेतु
दिल्ली | मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने 31 जुलाई को श्री सोमन के मेनोन द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए पत्र क्रमांक PMOPG / D /2019 /0197140 को आधार बनाकर ” भगवद गीता” के पवित्र सन्देश को शैक्षिणिक संस्थानों के पाठ्यक्रम में शामिल करने की कार्यवाही करने हेतु राष्ट्रीय शैक्षिणिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् को सम्पूर्ण प्रकरण प्रेषित कर दिया है |
केंद्र शासन द्वारा भगवद गीता के पवित्र सन्देश को शेक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल करने हेतु महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है अधोहस्ताक्षरकर्तागण द्वारा इसी विषय पर न्यायालय से लेकर कार्यपालिका तक निरंतर प्रयास किया जा रहा था | अब वह प्रयास सफल होने कि दिशा में अग्रसर है,अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि इस महत्वपूर्ण विषय को प्रसारित करने का कष्ट करे |
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने 31 जुलाई 2019 को श्री सोमन के मेनोन द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए निवेदन पर प्रधानमंत्री कार्यालयीन पत्र क्रमांक PMOPG/D/2019/0197140 को आधार बनाकर " भगवद गीता" के पवित्र सन्देश को शैक्षिणिक संस्थानों के पाठ्यक्रम में शामिल करने की उचित कार्यवाही करने हेतु राष्ट्रीय शैक्षिणिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् को सम्पूर्ण प्रकरण प्रेषित कर दिया है | मानव संशाधन विकास मंत्रालय ने एनसीईआरटी को इस विषय पर उचित कार्यवाही करने के लिए लिखा है क्यूंकि इस विषय पर क्षेत्राधिकार केवल एनसीईआरटी को प्राप्त है |
यहाँ ध्यातव्य है की " भगवद गीता" के पवित्र सन्देश को पाठ्यक्रम में शामिल करने हेतु अखिल भारतीय मलयाली संघ , वीर वीरांगना और अक्षर ज्योति ने जनहित याचिका बिलासपुर उच्च न्यायलय में दायर की थी | इसी सन्दर्भ में आम जनता से विनम्र निवेदन है कि उपरोक्त विषय में पत्र क्रमांक ‘F. 12-1/2019-IS-11- गीता और पाठ्यक्रम ’ का उल्लेख करते हुए निम्न पते पर सुझाव
भेजकर महत्वपूर्ण योगदान करने का कष्ट करें | निदेशक ,राष्ट्रीय शैक्षिणिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् V/5 राष्ट्रीय शैक्षिणिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् परिसर श्री अरविंदो मार्ग नईदिल्ली पिन 110016 श्रीमद भगवद गीता का विषय असीमित है अतः सुझाव देने में मार्गदर्शन का भी जरुरत है | हमारे विचार में गीता के अध्याय 3 का 42 वा श्लोक अत्यंत प्रासांगिक है :-
इन्द्रियाणि परण्याहुरिन्द्रियेभय: परं मन: |
मनसस्तु परा बुद्धिरयो बुद्ध: परतस्तु स: ||
उपरोक्त श्लोक से तात्पर्य है कि कर्मेन्द्रियाँ जड़ पदार्थ (शरीर ) की अपेक्षा श्रेष्ठ है , मन निरंतर…….. उपरोक्त श्लोक से तात्पर्य है कि कर्मेन्द्रियाँ जड़ पदार्थ (शरीर ) की अपेक्षा श्रेष्ठ है , मन इन्द्रियों से बढ़कर है , बुद्धि मन से भी उच्च है और वो (आत्मा) बुद्धि से भी बढ़कर है इस प्रकार एक सम्पूर्ण जीवन के क्रमिक विकास का उल्लेख गीता में किया गया है अतः प्रारंभ से विस्तार होकर लक्ष्य तक पहुँचने का सुझाव इसी मार्गदर्शन के अनुसार देना सकारात्मक होगा | यहाँ विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि अमेरिका के सीटोन हॉल विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए गीता एक अनिवार्य विषय है | वैसे ही कम्युनिस्ट चीन के मित्ज़ु विवि में ' योगा ' स्नातक स्तर पर पढ़ाया जाता है एवं स्नातकोत्तर हेतु छात्रों को भारत में अध्ययन करने का सुझाव दिया जाता है |