कश्मीर में पहली बार मिली पाकिस्तान की सील लगी क्लेमोर माइन
(देवराज सिंह चौहान) नई दिल्ली: कश्मीर घाटी में आतंकवादियों के पास पहली बार क्लेमोर माइन (CLAYMORE MINE) मिलने से सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया है. ये माइन अमरनाथ यात्रा के मार्ग पर शेषनाग के पास रास्ते के पास मिली. इस माइन पर पाकिस्तान ऑर्डिनेंस फैक्टरी का ठप्पा लगा है. सूत्रों ने जानकारी दी कि हथियार की हालत देखकर लगता है कि इसे कुछ समय पहले यहां छिपाया गया था.
क्लेमोर माइन का इस्तेमाल नक्सलियों ने तो किया है, लेकिन कश्मीर में आतंकवादियों के पास पहली बार ये माइन मिली है. ऐसी माइन का इस्तेमाल सेनाएं करती हैं. 2014 में नियंत्रण रेखा पर सौजियां के पास पाकिस्तानी सेना ने ऐसी ही एक माइन लगाई थी, जिसमें दो लोग मारे गए थे.
इसी हफ्ते अमरनाथ यात्रा के मार्ग की सुरक्षा में लगे सैनिकों ने आसपास की पहाड़ियों की तलाशी ली तो उन्हें आतंकवादियों द्वारा छिपा कर रखे गए कई हथियार मिले. इनमें एक स्नाइपर राइफल, एक आईईडी थी, लेकिन जिस बरामदगी ने सबको चौंकाया वो थी पाकिस्तान की सेना के इस्तेमाल में आने वाली क्लेमोर माइन. जिस जगह पर ये हथियार छिपा कर रखे गए थे उसके पास से ही अमरनाथ यात्रा का मार्ग निकलता है. ज़ाहिर है कि ये बेहद ख़तरनाक हथियार अमरनाथ यात्रियों की बड़े पैमाने पर हत्याएं करने के लिए छिपाया गया था.
क्लेमोर माइन इस लिए ज्यादा ख़तरनाक होती है, क्योंकि इसमें विस्फोट के बाद छर्रे या स्प्लिंटर को एक दिशा में मोड़ा जा सकता है. यानी ये किसी बंदूक की तरह सारे छर्रे अपने निशाने की तरफ़ ही फेंकती है. इसे ज़मीन के अलावा किसी पेड़ पर भी लटकाया जा सकता है, जो कि सड़क पर विस्फोटकों की तलाश करने वाले सुरक्षा बलों की नज़र से बच सकती है. इसे रिमोट से विस्फोट कराया जा सकता है. यानी किसी ट्रिप वायर का इस्तेमाल करके बूबी ट्रैप की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
सेना करती है दुश्मनों के लिए इस्तेमाल
अक्टूबर 2003 में आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर हुए क्लेमोर माइन के हमले ने उन्हें बुरी तरह से ज़ख्मी कर दिया था. क्लमोर माइन का इस्तेमाल अक्सर सेनाएं ऐसे रास्ते पर करती हैं, जहां से दुश्मन के आने की आशंका हो. इस माइन के विस्फोट से छर्रे 100 मीटर से 200 मीटर तक जाते हैं और वो भी 60 डिग्री का कोण बनाते हुए फनल के आकार में. यानि इन माइन के विस्फोट से सामने से आते हुए 100 मीटर से 200 मीटर के दायरे में आने वाले किसी व्यक्ति में बचने की कोई गुंजाइश नहीं है.