‘स्वच्छ भारत अभियान’ में 540 करोड़ रु. के घोटाले की बू, सिर्फ कागजों पर बने 4.5 लाख शौचालय
भोपाल:(देवराज सिंह चौहान) प्रदेश में तकरीबन 540 करोड़ रु. का स्वच्छ शौचालय घोटाले का खुलासा हुआ है. सूत्रों के मुताबिक सरकार ने साल 2012 से 2018 के बीच प्रदेश में जिन 4.5 लाख शौचालय का निर्माण होना दिखाया था वो सिर्फ कागजों पर ही थे.
सूत्रों के मुताबिक एक अधिकारी ने जानकारी दी कि इतनी संख्या में शौचालय बनाए ही नहीं गए थे. नए बने शौचालयों की संख्या 4.5 लाख दिखाने के लिए कहीं और के शौचालयों की फोटो लगा दी गई. इस हेराफेरी की तब पोल खुल गई जब अधिकारियों ने शौचालयों के फोटोग्राफ के जरिए उन्हें GPS से टैग करने की कोशिश की. शौचालय बने ही नहीं थे तो वो GPS से टैग ही नहीं हुए.
इस घोटाले के खुलासे ने साल 2017 में गुना जिले के उस शौचालय दरवाजा घोटाले की यादें ताजा कर दी है जिसमें 42000 शौचालयों के दरवाजों को 10 किलोग्राम कम वजन का बना कर करोड़ों रुपये का घपला किया गया था. राज्य के बैतूल में स्थानीय पंचायत अधिकारियों ने इस बाबत शिकायत भी की थी. ताजा मामला भी कुछ ऐसा ही है. वहीं 2012 में कराए गए सर्वे में प्रदेश में 62 लाख घरों में नहीं मिले टॉयलेट नहीं मिले थे.
सूत्रों के अनुसार एक अधिकारी ने बताया कि पूरे प्रदेश में ऐसे 4.5 लाख शौचालय चिन्हित किए गए हैं जो वास्तव में बने ही नही हैं. पंचायत और ग्रामीण विकास के लिए यह आंखें खोलने वाला मामला है. अधिकारी के अनुसार जो शौचालय मौजूद नहीं है उनकी लागत करीब 540 करोड़ रुपये है.
निकली दूसरों के शौचालयों की फोटोग्राफ
इस मामले में पंचायत की तरफ से शिकायत की गई थी. शिकायत की जांच में चार ऐसे लाभार्थियों के नाम सामने आए जो अपने शौचालयों की तस्वीर पहले ही जमा कर चुके थे लेकिन उनके नाम पर भी नए शौचालयों का निर्माण दिखाया गया था. जांच हुई तो उनके नाम पर जिन शौचालयों की फोटो जमा की गईं थीं वो पड़ोसियों की पायीं गईं. पंचायत की शिकायत के बाद एक आरोपी से 7 लाख रुपये रिकवरी के रूप में चुकाने को भी कहा गया.
नोडल अधिकारी कर रहे हैं जांच
घोटाला सामने आने के बाद जिलों में शौचालयों का निर्माण हुआ है या नहीं, इसकी जांच के लिए 350 नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं. वहीं इस मामले के आरोपियों पर FIR दर्ज करने और लैंड रेवन्यू वसूलने के आदेश भी दिए गए हैं.
इससे पहले भी हो चुका है घोटाला
इससे पहले भी ऐसा घोटाला उजागर हो चुका है. ग्राम पंचायतों में कागजों पर ही शौचालय बनाकर लाखों रुपए का भुगतान कर दिया गया. करीब 600 करोड़ रुपए का घोटाला तो खुद सरकारी अफसरों ने स्वीकार किया था. प्रदेश में निर्मल भारत और मनरेगा के तहत वर्ष-2011-12, 2012-13 और 2013-14 में 18 लाख शौचालय बनने थे, किंतु महज 12 लाख शौचालय बने थे. बाकी के छह लाख शौचालय कागजों पर ही बनाकर उनका भुगतान कर दिया गया था. औसत दस हजार रुपए प्रति शौचालय दिए गए जिनकी कुल लागत करीब छह सौ करोड़ रुपए थी.
होने लगी राजनीति
कांग्रेस ने इस घोटाले में शिवराज सिंह को घेरने की कोशिश की है. प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने आरोप लगाया कि ग्रामीण इलाकों में बीजेपी कार्यकर्ताओं को फायदा देने के लिए ये पूरा फर्जीवाड़ा किया गया है. इस मामले की पूरी जांच कराई जाएगी. जबकि बीजेपी इस पूरे प्रकरण को ही फर्जी बता रही है. बीजेपी नेता विजेंद्र सिंह सिसोदिया ने कहा है कि एक-दो टॉयलेट में गड़बड़ी निकली होगी. कांग्रेस नेता हेडलाइंस में बने रहने के लिए इस तरह के मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं.