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CAA: शाहीनबाग प्रदर्शन में सिर्फ कांग्रेस नेता ही क्यों पहुंच रहे हैं?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद शशि थरूर रविवार को जामिया और शाहीनबाग पहुंचे. उनके साथ दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा भी थे. कांग्रेस के ये पहले नेता नहीं हैं जो ओखला इलाके में चल रहे प्रदर्शन का हिस्सा बने हैं. इससे पहले कांग्रेस नेता राशिद अल्वी और शर्मिष्ठा मुखर्जी जैसे नेता भी शाहीनबाग जाकर अपना समर्थन जता चुके हैं और बाकायदा मंच से लोगों को संबोधित कर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर चुके हैं.

  • CAA के खिलाफ शाहीनबाग में प्रदर्शन जारी
  • प्रदर्शन में शामिल होने पहुंच रहे कांग्रेस नेता
  • आम आदमी पार्टी ने बनाई विरोध प्रदर्शन से दूरी

लोकसभा में 9 और राज्यसभा में 11 दिसंबर को नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद 10 जनवरी को यह नया कानून (CAA) अमल में आ गया है, लेकिन इसका विरोध अब भी जारी है. कई गैर-बीजेपी शासित राज्य सरकारें नया कानून लागू करने से इनकार कर रही हैं, तो दूसरी तरफ जनता भी अलग-अलग इलाकों में सड़कों पर उतरकर विरोध कर रही है.

सबसे पुरजोर मुखालफत दिल्ली के जामिया और शाहीनबाग इलाके में की जा रही है, जहां 15 दिसंबर से लगातार खासकर महिलाएं सड़क पर दिन-रात जुटी हुई हैं और कानून को संविधान के खिलाफ बताकर इसकी वापसी की मांग कर रही हैं. महिलाओं के इस गुस्से को नेताओं का भी समर्थन मिल रहा है, हालांकि इन नेताओं में ज्यादातर नाम कांग्रेस नेताओं के ही हैं.

रविवार को भी कांग्रेस के नेता दोनों ही प्रोटेस्ट में शामिल हुए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद शशि थरूर जामिया और शाहीनबाग पहुंचे. उनके साथ दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा भी थे. कांग्रेस के ये पहले नेता नहीं हैं जो ओखला इलाके में चल रहे प्रदर्शन का हिस्सा बने हैं. इससे पहले कांग्रेस नेता राशिद अल्वी और शर्मिष्ठा मुखर्जी जैसे नेता भी शाहीनबाग जाकर अपना समर्थन जता चुके हैं और बाकायदा मंच से लोगों को संबोधित कर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर चुके हैं.

शाहीनबाग में प्रदर्शन के दौरान शशि थरूर (PTI)

थरूर ने बढ़ाया प्रदर्शनकारियों का हौसला

शशि थरूर ने भी वहां पहुंचकर प्रदर्शनकारियों का हौसला बढ़ाया और उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून को विभाजनकारी बताते हुए कहा कि बीजेपी की सरकार ने इस कानून में धर्म को जोड़ दिया है, जिसे हम स्वीकार नहीं कर सकते. प्रदर्शनकारियों के समर्थन में आवाज बुलंद करते हुए थरूर ने कुछ पंक्तियां भी सुनाईं. उन्होंने कहा, ‘ना मेरा है, ना तेरा है, ये हिंदुस्तान सबका है, ना समझेंगे ये बात तो नुकसान सबका है.’ हालांकि, राजनीतिक तौर पर इस मुद्दे से नफा-नुकसान किसका होगा, इसे लेकर भी चर्चा जोरों पर हैं. शायद यही वजह है कि दिल्ली के सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी का कोई चेहरा इन प्रदर्शनकारियों के बीच नजर नहीं आया है और बीजेपी के किसी प्रतिनिधि ने अब तक धरना दे रहे लोगों से बात नहीं की है.

क्या दिल्ली चुनाव है कांग्रेस नेताओं के जाने की वजह?

ऐसे में कांग्रेस के नेता ही प्रमुखता से क्यों इन प्रदर्शनकारियों के पास जा रहे हैं, ये बड़ा सवाल है. इस सवाल पर कांग्रेस का कहना है कि लोगों के साथ खड़ा होना उनका कर्तव्य है, इसे चुनाव से जोड़कर देखना गलत है. कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी से जब aajtak.in ने यह सवाल किया तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस नेता सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश के दूसरे हिस्सों में भी सीएए के खिलाफ उतरे लोगों का समर्थन कर रहे हैं. राशिद अल्वी ने बताया कि वो खुद शाहीनबाग गए हैं और लोगों की परेशानियों को जाना है.

राशिद अल्वी ने कहा कि कांग्रेस जनता के साथ खड़ी रहने वाली पार्टी है, इसलिए उनके बीच जा रही है. दिल्ली चुनाव में माइलेज के सवाल पर राशिद अल्वी ने कहा कि हम चाहते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इन प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे और उनकी सुनें. इस मसले पर aajtak.in ने दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता हरीश खुराना से भी बात की. हरीश खुराना ने कांग्रेस नेताओं के जामिया और शाहीनबाग जाने को कांग्रेस पर खिसकते वोट बैंक को बचाने की कवायद करार दिया. साथ ही उन्होंने आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पर भी गंभीर आरोप लगाए.

हरीश खुराना ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को इस प्रदर्शन में शामिल होने से बहुसंख्यक समुदाय की नाराजगी का खतरा है, इसीलिए वो स्थानीय विधायक अमानतुल्लाह खान और संजय सिंह के कंधे पर बंदूक रखकर बाजी खेल रहे हैं.

बता दें कि आम आदमी पार्टी न सिर्फ सीएए के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों से दूरी बनाए हुए है, बल्कि वह इससे जुड़े मुद्दों पर टिप्पणी करने से भी बच रही है. इतना ही नहीं, सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक से भी केजरीवाल ने खुद को अलग कर लिया है. जबकि कांग्रेस संसद में बिल का विरोध करने के बाद सड़कों पर उतरकर भी विरोध कर रही है और प्रदर्शनकारी जनता को अपना समर्थन दे रही है.