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योगी सरकार का बड़ा फैसला- लखनऊ, नोएडा में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम को मंजूरी

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारी कैबिनेट ने ये प्रस्ताव पास कर दिया है. एडीजे स्तर के अधिकारी पुलिस आयुक्त होंगे, जबकि 9 एसपी रैंक के अधिकारी तैनात होंगे.

  • एडीजे स्तर के अधिकारी पुलिस आयुक्त होंगे
  • 9 एसपी रैंक के अधिकारी तैनात किए जाएंगे

योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश और नोएडा में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम को मंजूरी दे दी है. सोमवार को लखनऊ में हुई कैबिनेट बैठक में इस फैसले को मंजूरी दी गई है. इस बारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछले 50 सालों से बेहतर और स्मार्ट पुलिसिंग के लिए पुलिस आयुक्त प्रणाली की मांग की जा रही थी. हमारी कैबिनेट ने ये प्रस्ताव पास कर दिया है. सीएम योगी ने कहा कि एडीजे स्तर के अधिकारी पुलिस आयुक्त होंगे, जबकि 9 एसपी रैंक के अधिकारी तैनात होंगे. उन्होंने कहा कि एक महिला एसपी रैंक की अधिकारी महिला सुरक्षा के लिए इस सिस्टम में तैनात होगी.

निर्भया फंड का इस्तेमाल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि काफी पहले से अलग-अलग संस्थाएं इसके लिए सुझाव दे रही थीं. कई बार न्यायपालिका हमें इस बात के लिए कटघरे में खड़ी भी करती थी. वर्षों से मांग थी कि यहां पुलिस आयुक्त की प्रणाली लागू हो. मुख्यमंत्री ने कहा, पहले यह लागू नहीं हो पाया. मुझे अब प्रसन्नता है कि लखनऊ और नोएडा पुलिस आयुक्त प्रणाली के लिए हमारी कैबिनेट ने स्वीकृति दी है. इस प्रणाली के तहत एसपी, एडिशनल एसपी रैंक का अधिकारी यातायात के लिए विशेष रूप से तैनात होगा. निर्भया फंड का इस्तेमाल भी इस सिस्टम में महिला सुरक्षा के लिए होगा.

मजिस्ट्रेट स्तर की शक्ति

पुलिस कमिश्नरी प्रणाली में उप पुलिस अधीक्षक (डिप्टी एसपी) से ऊपर जितने अधिकारी होते हैं, उनके पास मजिस्ट्रेट स्तर की शक्ति होती है. मगर थानाध्यक्ष और सिपाही को वही अधिकार रहेंगे, जो उन्हें फिलहाल मिले हुए हैं. कहीं विवाद या बड़े बवाल जैसी घटना होती है तो जिलाधिकारी के पास ही भीड़ नियंत्रण और बल प्रयोग करने का अधिकार होता है, मगर कमिश्नरी लागू होने पर इसका अधिकार पुलिस के पास होगा. इसके साथ ही शांति व्यवस्था के लिए धारा-144 लागू करने का अधिकार भी कमिश्नर को मिल जाएगा.

अभी हाल में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओ.पी. सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वीकार किया था कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने को लेकर शासन में मंथन चल रहा है. राज्य सरकार का तर्क यह है कि इससे जिलों की कानून व्यवस्था बेहतर होगी. इसके बाद कानून एवं व्यवस्था सहित तमाम प्रशासनिक अधिकार भी पुलिस कमिश्नरी के पास रहेंगे.