उज्जैन देश

सरलजी वीरों की गाथा लिखने वाले महावीर : डॉ. पाण्डे सरल काव्यांजलि द्वारा ‘सरल प्रसंग आयोजित

उज्जैन। श्रीकृष्ण ‘सरल शहीदों के भक्त थे, वे वीरों की गाथा लिखने वाले महावीर थे, उन्होंने आजीवन केवल साधना की, किसी को ‘साधा नहीं।
उक्त उद्गार सरल काव्यांजलि साहित्यिक संस्था द्वारा आयोजित ‘सरल प्रसंग में शिक्षा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. ए.पी. पाण्डेय ने अपने अध्यक्षीय भाषण में व्यक्त किए। जानकारी देते हुए संस्था के सचिव डॉ. संजय नागर ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने कहा कि सरलजी की पंक्तियाँ अकर्मण्यता की ओर जाते समाज को जगाती है, उन्होंने केवल अमर शहीदों का ऋण ही नहीं चुकाया, राष्ट्र को एक नया ऋण दे दिया है, जिसे हमें चुकाना है। उन्होंने सिखाया है कि राष्ट्र केवल एक नक्शा नहीं, एक जमीन का टुकड़ा नहीं, राष्ट्र एक आंतरिक चेतना का नाम है। वरिष्ठ पत्रकार श्री क्रांतिकुमार वैद्य ने कहा कि सरलजी का मूल्यांकन होना अभी बाकी है जो भविष्य करेगा। सरलजी के द्वारा सम्मानित हो चुके वरिष्ठ पत्रकार श्री नरेन्द्रसिंह अकेला ने बताया कि वे अपने आपको कवि नहीं कहते थे, स्वयं को भक्त कहते थे, चारण कहते थे। पार्षद राजश्री जोशी ने कहा कि कुछ लोग पद से शोभा पाते हैं कुछ शोभा के पद पाते हैं पर श्रीकृष्ण सरलजी ने अपने कर्मों से पद और शोभा दोनों पा लिया था। पूर्व वरिष्ठ पार्षद श्री रविराय ने सरलजी के साथ अपनी यादों को ताजा किया। इस अवसर पर समाजसेवी श्री गोपाल बागरवाल तथा वरिष्ठ पत्रकार श्री सुखरामसिंह तोमर को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। वीर रस पर आधारित काव्य गोष्ठी का भी आयोजन हुआ, जिसमें डॉ. पुष्पा चौरसिया, नरेन्द्र शर्मा ‘चमन, कोमल वाधवानी ‘प्रेरणा, आशागंगा प्रमोद शिरढोणकर, विजय गोपी, विजयसिंह गेहलोत, दिलीप जैन, रफीक नागौरी, अरुणेश्वरी गौतम ने ओजस्वी रचनाओं का पाठ किया। श्री परमानंद शर्मा ‘अमन ने श्रेष्ठ कविता के लिए रफीक नागौरी तथा विजय गोपी को पुरस्कृत किया।
प्रारंभ में अतिथि स्वागत श्री प्रदीप ‘सरल, कमलेश कुशवाह, अनिल चौबे, हरदयालसिंह ठाकुर, परमानंद शर्मा ‘अमन ने किया। स्वागत भाषण संस्था अध्यक्ष संतोष सुपेकर ने दिया। सरस्वती वंदना दौलतसिंह कुशवाह ने गाई। राजेन्द्र देवधरे ‘दर्पण ने अमर शहीद भगतसिंह की माताजी के सरलजी द्वारा उज्जैन में स्वागत का विवरण सुनाया। संचालन नितिन पोल ने किया तथा आभार संजय जौहरी ने माना।