अनुसूचित जाति जनजाति एक्ट को समाप्त कर देना चाहिए – शिवसिंह परिहार
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आँकड़ों के अनुसार 2015 में 50% से अधिक केस राजस्थान में ही फ़र्जी पाए गए हैं
नई दिल्ली। एन.सी.आर.बी. की रिपोर्ट के अनुसार एट्रोसिटी एक्ट में 27.8 हजार से अधिक केस 2015, 14 और 13 में फ़र्जी पाए गए हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो एक सरकारी और आधिकारिक संस्था है जोकि देश में अपराधों का अध्ययन करती है और फिर समय समय पर रिपोर्ट जारी करती है।
अभी हाल ही में तमिलनाडु से एक दर्दनाक घटना आई जिसमें अंग्रेजी अख़बार द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार SCST एक्ट में सिर्फ़ मुआवजे के लिए परिजनों नें बेटी को जिंदा जला दिया। लेकिन लड़की का शव घर वालों नें लेने से मना कर दिया फिर सरकार नें आनन-फानन में पीड़िता के परिवार के तौर पर 4.5 लाख का मुआवजा दे दिया।
लेकिन इसमें पुलिस नें आगे जाँच की तो पता चला कि लड़की किसी सवर्ण जाति के लड़के से प्रेम करती थी और लड़की के रिश्तेदारों को यह नागवार गुजरा और उन्होंने लड़की को जिन्दा जला दिया। और आरोप प्रेमी लड़के पर थोप दिया गया, SC-ST के तहत झूठा केस बनवाने के लिए वकील को पैसे खिलाए गए और प्रदर्शन करने के लिए गाँव वालों में पैसे बांटे गए।
हालांकि यह पहला केस नहीं है इससे पहले भी नोयडा में आर्मी जनरल का केस, राजस्थान में भू माफिया के ख़िलाफ़ खबरें लिखने पर फर्जी केस, एमपी के सीधी में नर्स द्वारा SC-ST एक्ट से ब्लैकमेल करने के कारण आत्महत्या जैसे कई मामले आए हैं। जिनसे पता चलता है, कि जहां एक तरह दलित के साथ अत्याचार हुए हैं, वहीं इसी की आड़ में तथाकथित सवर्ण जाति के लोगों पर उल्टा अत्याचार हुआ है। इसके लिए हमनें इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के सहारे NCRB के एक डाटा का अध्ययन किया है, जिसमें बेहद चौकाने वाले आँकड़े आए हैं।
एट्रोसिटी एक्ट के अंतर्गत साल 2015 में कम से कम 8900 ऐसे केस रहे हैं जो पूरी तरह से फ़र्जी पाए गए हैं। इसमें आधे से अधिक राजस्थान, 1099 केस के साथ आंध्रप्रदेश दूसरे व 664 केस के साथ बिहार तीसरे स्थान पर रहा।
वहीं तेलंगाना में 477, यूपी में 400 केस फर्जी पाए गए हैं। इसके अलावा 2014 में 9704 केस और 2013 में 9253 केस SC-ST एक्ट के अंतर्गत फ़र्जी पाए गए हैं।कुलमिलाकर सिर्फ़ 2015, 2014 और 2013 में 27857 केस एट्रोसिटी एक्ट के तहत गलत साबित हुए हैं।
इस रिपोर्ट पर सवर्ण मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिवसिंह परिहार ने कहा कि ऐसे कानूनों का लोग गलत फायदा उठाते हैं कुछ लोगों ने तो ये एक्ट सिर्फ सरकारी पैसा प्राप्त करने के लिए लगवा दिया। यदि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों की बात की जाए तो इससे ये बातें पूर्ण रूप से स्पष्ट होती हैं। अब समय आ गया है कि सरकार को इस एक्ट पर गम्भीरता से विचार कर नए रूप में लागू करना चाहिए या समाप्त कर देना चाहिए।