जागो ,अभ भी जागने का समय है ,आम नागरिक मरे नहीं तो क्या करें
आम जनता सरकार के आह्वान पर आए दिन विरोध व्यक्त करती है यह उसी का उदाहरण है कि सरकार चलाने के लिए विरोध की संख्या और तो बढ़ती है किंतु अपने आपको जीवन को चलाने के लिए विरोध करती डेम साहस क्यों नहीं बताती सरकार को अस्तित्व में लाने के लिए हमारे टैक्सों से बनी हुई वस्तुएं को तोड़ने के लिए आत्मदाह करती है जो अपना जीवन अमूल्य है उसको भी दाव पर लगा देती है किंतु हमारे पीछे जो हमारा परिवार है उस को अस्तित्व में लाने के लिए क्यों चुप्पी साधे बैठे रहते हैं आखिर कब तक ऐसा चलता रहेगा
भारती जनता पार्टी दिन प्रतिदिन राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाती में कोई कमी नहीं ला रही राष्ट्रव्यापी योजनाएं राष्ट्र विकास कार्यक्रम जैसी मूल विश्व पर सतत कार्यरत है किंतु राष्ट्र को धरातल पर तभी संभव है आम नागरिक होगा तो राष्ट्र होगा आम नागरिक लगातार टूटता नजर आ रहा है प्रतिदिन टूटते टूटते आम नागरिक की स्थिति ठीक उसी प्रकार हो गई है के वह ना ही घर का है ना ही घाट का आखिर बीजेपी की यह कौन सी पॉलिसी है जिससे आम नागरिक अस्तित्व में ही नहीं हो पा रहा है जब आम नागरिक अस्तित्व में नहीं होगा तो फिर राष्ट्रीय देश की बात करने वाले किससे बात करेंगे आखिर पार्टी की ऐसी कौन सी नीति है जो आम नागरिक का भला हो सके ताकि आम नागरिक अपने जीवन को खुशहाल बना सके
नंबर 1
आम नागरिक के खाते तो खोलें किंतु आम नागरिक ने उन खातों में पैसे डाले जिसका निर्धारण होने के पश्चात खातों में से पैसे उड़ा दिया
नंबर 2
महंगाई की मार किसी की भी सरकार हो आम नागरिक पर ही लोड होता है
नंबर 3
आम नागरिक जब बिजली का उपभोग करता था तो लाल बल्ब 40,80 ,1000 वाट के गोले का उपयोग करता था किंतु उसका बिल ₹560 ही आता था ,किंतु आज ठीक 10% ही जलाता उपयोग है उसका बिल 1000,15000पंद्रह सौ से कम नहीं आता
वैसे आम नागरिक के छोटे-छोटे कई मुद्दे हैं जिस मुद्दों पर सरकार को बात करना चाहिए किंतु सत्ता में आने के बाद सिर्फ बात ही बात रह जाती है उन मुद्दों को ताक में रख दिया जाता है