त्रिवेणी संग्रहालय में तीन दिवसीय मालवा मांच उत्सव का शुभारंभ
उज्जैन। म.प्र. शासन संस्कृति विभाग की संस्था त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय, उज्जैन में माच गुरु स्व. सिद्धेश्वर सेन जी के जन्म शताब्दी वर्ष को समर्पित मालवी लोकनाट्य माच पर एकाग्र “माच महोत्सव” का आयोजन किया जा रहा है । तीन दिवसीय माच महोत्सव का शुभारंभ 26 सितम्बर को दोपहर 3 बजे माच संगोष्ठी के साथ संग्रहालय के सभागार में किया गया । संगोष्ठी में माच के विविध स्वरुपों, माच प्रदर्शन शैली और शिल्प पर अतिथि विद्वानों द्वारा विस्तार पूर्वक चर्चा हुई । शहर के वरेण्य विद्वान एवं पुरातत्वविद् डॉ. भगवती लाल राजपुरोहित ने माच की कला को संस्कृत कोष के दस नाट्य प्रकारों में प्रमुख “विची” के समान बताया । माचगुरु स्व.सिद्धेश्वर सेन को याद करते हुए उन्होनें कहा कि- “माच कैसे होता है यह तो सब जानते है परन्तु माच की रचना कैसे होती है यह केवल कुछ ही लोग जानते है श्री सिद्धेश्वर सेन उनमें प्रमुख माचकार रहे, उनके द्वारा रचित माच रचनाओं में सामयिक विविधताएँ मिलती है जो कि माच को वर्तमान समय में पहचान दिलाने की दिशा में सार्थक पहल हो सकती है” इसी क्रम में शहर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शिव चौरसिया ने अपने वक्तव्य में कहा कि – “मालवा का लोकनाट्य माच है, भारत के विविध प्रांतों में स्थानीय कला प्रेमियों द्वारा विविध कला शैलियों और परंपराओं को जीवित रखने के लिए प्रयास किये जाते रहे है । माच लोकनाट्य की परंपरा कभी समाप्त नही हो सकती वह केवल समय के प्रभाव से प्रभावित हो सकती है । जमीन के जुड़ी कला परंपराएँ कभी अपना अस्तित्व नही खो सकती, वे कही न कहीं उपजती रहती है । इस संगोष्ठी के कार्यक्रम में श्री हफीज़ खान, डॉ. कृष्णा वर्मा, डॉ. तृप्ति नागर आदि अतिथि विद्वान उपस्थित रहे । कार्यक्रम का संचालन श्री प्रकाश बांठिया जी ने किया । तीन दिवसीय माच महोत्सव की पहली सांस्कृतिक संध्या में शाम 7:30 बजे माँ ब्रह्माणी लोक कला माच मणडली, ग्राम चिकली के कलाकारों ने स्व. सिद्धेश्वर सेन द्वारा रचित माच “राजा भर्तरी” का मंचन सुधी दर्शकों के मध्य किया । इस माच प्रस्तुति के अन्तर्गत राजा भर्तरी सभी सांसारिक प्रलोबनों का त्याग करके गुरु श्री गोरखनाथ की शरण में जाते है, और उनेक शिष्य बनते है । इस माच मण्डली के प्रमुख कलाकरों में श्री बाबूलाल देवड़ा, श्री जगदीश भावसार, श्री मांगीलाल भॉटी, श्री पप्पू चौहान, श्री तेजु सोलंकी, श्री सोनू बोडाना, श्री टीकाराम भाटी, श्री विष्णु चंदेल, श्री लखन बोडाना, श्री दिलीप चौहान, श्री सुधीर सांखला, श्री रमेश असवार आदि माचकारों ने प्रस्तुति दी।
माच महोत्सव के दूसरे दिन दोपहर 3:00 बजे माच परंपरा, नवाचार और संभावनाएँ पर संगोष्ठी का आयोजन होगा । और शाम 7 बजे से स्व. सिद्धेश्वर सेन द्वारा रचित माच प्रस्तुति “राजा हरिशचन्द्र” का मंचन संग्रहालय के सभागार में होगा । तीन दिवसीय माच महोत्सव में आयोजित हो रहे सभी कार्यक्रम सभी सुधी दर्शकों के लिये पूर्णतः निःशुल्क है । सपरिवार इष्टमित्रों सहित पधारकर कार्यक्रम को सफल बनाए ।