जयपुर

पब्जी खेलने की लत से शहीद फौजी का बेटा बीमार, रोक के लिए पीएम से लगाई गुहार

(देवराज सिंह चौहान) जयपुर: आज हम आपको ऐसी खबर बताने जा रहे हैं. जिसके देखना आपके लिए भी काफी जरुरी है. यह खबर आपके बच्चे और उसकी जिंदगी से जुड़ी हुई है. जी हां, यह खबर ऑनलाइन खेले जाने वाला पब्जी से जुड़ा हुआ है. जिसकी वजह से आपका बच्चे आपसे छीन सकता है.

ताजा मामला जयपुर से सामने आया है. जहां एक मां जिसने अपने उस पति को खो दिया जो सेना में थे. अब वही मां को डर है कि उसका बच्चा भी उससे जल्दी दूर हो जायेगा. 14 साल के उनके बच्चे को पब्जी की लत ऐसी लगी है कि अब बच्चा मानसिक रोगी की तरह व्यवहार करने लग गया है. जब मां उसको पब्जी खेलने से रोकती है तो बेटा हिंसक हो जाता है. वो खुद को कमरे में कैद कर लेता है.

जानिए 14 साल के बच्चे की हालत
इंटरनेशनल लेवल तक स्पोर्ट्स में रहने वाले 14 वर्षीय नगेन्द्र की हालत आज ऐसी हो गई है कि उसने स्कूल तक जाना छोड़ दिया है. परेशान मां ने जी मीडिया के माध्यम से देश के पीएम और राजस्थान के सीएम से गुहार लगाई है कि कैसे भी करके राजस्थान में पब्जी के खेल को बैन कर दें.

पब्जी ने किया घर से दूर
स्मार्टफोन पर खेले जाने वाला पब्जी के खेल ने एक घर के चिराग को उसकी मां और परिवार से लगभग दूर कर कर दिया है . खेल की सनक ऐसी है कि 14 साल का बालक खुद को कमरे में बंद कर लेता है. फ़िलहाल उसका मानसिक ईलाज भी चल रहा है. उसने स्कूल जाना छोड़ दिया है. ताइक्वांडो खेल का नेशनल प्लेयर अब सिर्फ पब्जी के खेल में कैद हो चुका है. एक मां जिसने अपने सैनिक पति को खो दिया.

सरकार से मां ने लगाई गुहार
अब देश के पीएम और राजस्थान के सीएम से लड़के की मांग गुहार लगा रही है कि सेना के परिवार के चलते उसे जो मदद मिलती है उसे वो नहीं चाहिए. बस उसे उसका बेटा वापस कर दें और पब्जी जैसे खेल को बैन कर दें.

पिता की 4 साल पहले हो चुकी मौत
आपको बता दें कि पब्जी की लत के शिकार 14 वर्षीय नागेंद्र के पिता की साल 2015 में मौत हो चुकी है. पिता भारतीय सेना में थे. मां के पास खोने को अब कुछ और नहीं है दो बेटे है. जिनमें से छोटा बेटा पब्जी की जद में आकर इस हाल में आ चुका है कि खुद को या परिवार को नुकसान पहुंचा सकता है.

मां पूरी तरह हो रहीं बेबस
एक बेबस मां कमरे के बाहर खड़ी हुई अपने बेटे को कमरे बाहर बुला रही है. लेकिन उसका बच्चा तो मां से दूर. पब्जी खेल की जकड़ में आ चुका है. ताइक्वांडो में मेडल्स जीतने वाला नागंद्र वर्चुअल खेल पब्जी की दुनिया में खो चुका है. इतना खो गया है कि परेशान मां उसे मनोचिकित्सकों के पास लेकर जा रही है. उसे अस्पताल में भर्ती करने की सलाह भी दी जा रही है.

अभिभावक बरतें सावधानियां
युवा और बच्चे इस गेम को खेलने के इस कद्र आदि होते जा रहे हैं कि दिन-रात फोन के साथ ही चिपके रहते हैं. गेम के टास्क पूरे करने के लिए वह ना तो खाने की परवाह करते हैं और ना ही नींद की. अगर आपका बच्चा भी पबजी खेलते समय आपको नजरअंदाज कर रहा है तो आपको सतर्क होने की जरूरत है. गेम के कई तरह के हाईटेक फीचर हैं जिसमें अट्रैक्टिव ग्राफिक्स के साथ-साथ मोशन सेंसरिंग टेक्नोलॉजी और पावरफुल साउंड का इस्तेमाल किया गया है जो बच्चों को बहुत पसंद आ रहा है. लड़कियों से ज्यादा लड़के इसे पसंद कर रहे हैं क्योंकि यह एक्शन गेम है वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने जून 2018 में ऑनलाइन गेमिंग को एक मानसिक स्वास्थ्य विकार के रूप में वर्गीकृत किया था.

हर बार ये नहीं कह सकते कि बच्‍चे ऐसा कर रहे है. कहीं न कहीं प्राथमिक तौर पर अभ‍िभावकों की जिम्‍मेदारी बनती है. मां बाप बच्‍चों को समय नहीं दे रहे. आज कोइ भी व्‍यक्‍ति बिना मोबाइल के नहीं रह सकता. बच्‍चे अपने आस पास से ही सीखते हैं. जब वह देखता है कि घर के लोग भी मोबाइल में ही लगे है तो वो भी ऐसा ही करता है, जिसके बाद वो ऐसे गेम्‍स के चक्‍कर में पड़ जाता हैघंटों एक ही पोजिशन में बिना मूवमेंट के बैठने व आंखें गढ़ाए रखने से यह आई साइट को बुरी तरह प्रभावित कर रही है.

गर्दन झुकाकर बैठे रहने से गर्दन दर्द, कुबड़, खाने का ना पचना जैसी दिक्कत आनी शुरू हो जाती है. इसके अलावा अनिद्रा, भूख की कमी, मानसिक परेशानी, परिवार के साथ आपसी तालमेल की कमी, चिढ़चिढ़ापन भी इसी के कारण हो सकते हैं.