वकील बोले- डीके शिवकुमार का मामला हत्या से नहीं जुड़ा, जमानत दे दीजिए, कोर्ट ने कहा- नहीं
(देवराज सिंह चौहान) नई दिल्ली: मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी कांग्रेस के नेता डी के शिवकुमार फिलहाल जेल में ही रहेंगे. Rouse एवेन्यू कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. कांग्रेस के नेता और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फिलहाल जेल में बंद डी के शिवकुमार को झटका लगा है. जमानत की मांग वाली याचिका को rouse एवेन्यू कोर्ट ने किया खारिज. कोर्ट ने कहा कि अगर इनकी तबीयत खराब होती है तो आरएमएल अस्पताल में ले जाया जाए. फिलहाल जेल के ही डॉक्टर उनका ट्रीटमेंट कर रहे हैं. सुनवाई के दौरान जमानत का विरोध करते हुए ED ने कहा था शिवकुमार जांच में सहयोग नहीं कर रहे है, जबकि उनके खिलाफ दस्तावेजी साक्ष्य है.
जमानत मिलने पर साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है. ये एक ऐसा आर्थिक अपराध है जो देश के लिए खतरा है. गिरफ्तार करने के बाद ED ने 4 सितम्बर को कोर्ट में पेश किया था. 14 दिन की ED रिमांड के बाद उनको जेल भेज दिया गया था. फिलहाल वह 3 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में है. जानिए क्या है पूरा मामला
पूरा मामला 2017 का है जब इनकम टैक्स विभाग ने छापे के दौरान 60 ठिकानों से 11 करोड़ रुपए कैश बरामद किया था. इसके अलावा करोड़ों की संपत्ति का पता चला था. इसी के बाद ईडी ने मनी लाउंड्रिंग का मुकदमा दर्ज किया था. जांच के दौरान ईडी को ये भी पता चला था कि शिवकुमार के इशारों पर उनके करीबियों ने दिल्ली के चांदनी चौक से कैश लेकर दिए गए पते पर पहुंचाने का काम भी कर रहे थे, यानी हवाला के तार भी जुड़े थे. इसके अलावा इस बात का भी पता चला कि डी के शिवकुमार ने कई करोड़ रुपए की चोरी भी की है, हालांकि शिवकुमार हमेशा कहते रहे कि उन्हें फंसाया गया है और राजनीतिक साजिश है.
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कांग्रेस के नेता डी के शिवकुमार के लिए वरिष्ठ और जाने माने वकील मुकुल रोहतगी भी हुए पेश थे, उनका कहना था कि कोई मर्डर का केस नहीं है. उनको जमानत दी जाए.डी के शिवकुमार की तरफ से पूरी कोशिश की गई थी उनको स्पेशल कोर्ट से ही जमानत मिल जाए, लेकिन कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 25 सितम्बर को अपना फैसला सुनाया और उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया.
पूछताछ की अवधि खत्म होने के बाद ईडी ने कहा था कि डी के शिवकुमार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाए. उनके स्वास्थ्य का रोजाना चेकअप किया जाता है. सेहत खराब होने की वजह से हर रोज पूछताछ नहीं हो पा रही है. न्यायिक हिरासत में भी पूछताछ की इजाजत दी जाए, हालांकि कोर्ट ने इसकी इजाजत नहीं दी थी.
साथ ही ED का कहना था कि केवल 41 लाख की बात की जा रही है. जो 8.59 करोड़ बरामद हुआ उस पर भी नियंत्रण डी के शिवकुमार का ही था. 9 लोगो से जांच और पूछताछ भी हुई है. जांच में 143 करोड़ रुपए के मनी लाउंड्रिंग का पता चला है. 20 विभिन्न बैंकों में 317 खाते बना कर मनी लांड्रिंग की गई है. हमने इनके चार्टर्ड अकाउंटेंट का भी बयान लिया है. इन्होंने कैश पैसे देकर भी प्रापर्टी बनाई है.इनकी बेटी जिसकी उम्र सिर्फ़ 22 साल है उसके नाम पर 108 करोड़ का लेन देन किया गया है.
डी के शिवकुमार के वकीलों ने ईडी के तमाम दलीलों का विरोध किया और कहा था कि तबियत लगातार ख़राब है. वो तीन बार अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं. छाती में भी दर्द हो रहा है. बावजूद इसके ईडी ने रिमांड लिया और दो हफ्ते गुजार दिए. कहते है पूछताछ पूरी नहीं हुई है. जिन पैसों के मनी लाउंड्रिंग की बात ईडी कर रही है उनके सबूत कहां है.
एजेंसी की नियत केवल परेशान करने की है,जो भी लेनदेन हुआ है, रिटर्न भरते वक्त दिखाया गया है. इतना ही नहीं जमानत की मांग करते हुए कहा गया था कि जिंदगी भर पब्लिक के सामने रहें है. शिवकुमार के संबंधित खातों से सिर्फ़ 41 लाख मिले हैं. सबका टैक्स भरा गया है. कोई आधार नहीं बनता कि सिर्फ़ जेल में रखने के लिए 120B लगा दी जाए. ये पूरा केस एक रेड के आधार पर है जो सभी अधिकारियों के सामने हुआ.
मामला दस्तावेजों पर आधारित है. हम चाहते हैं कि हमारे क्लाइंट को बेल दी जाए. हम कोर्ट में पासपोर्ट जमा करने को भी तैयार हैं. तमाम दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत पर 21 सितम्बर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.