पं. नेहरू के गलत निर्णय का परिणाम है कश्मीर समस्याः बालियान
भोपाल। कश्मीर की समस्या तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के एक गलत निर्णय की देन है। अगर वे उस समय युद्ध विराम का निर्णय नहीं लेते, तो आज पाक अधिकृत कश्मीर भी भारत का ही अंग होता। यह बात केंद्रीय मंत्री श्री संजीव बालियान ने विदिशा के रविन्द्रनाथ टेगौर सांस्कृतिक भवन में ‘नए भारत का एक संकल्प एक राष्ट्र-एक संविधान’ विषय पर प्रबुद्धजन गोष्ठी में मुख्यवक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कही। केंद्रीय राज्यमंत्री श्री संजीव बालियान बुधवार को विदिशा पहुंचे। इस दौरान ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत ’कार्यक्रम के तहत उन्होंने प्रबुद्धजन डॉ. मेजर सतीश जैन एवं वरिष्ठ समाजसेवी श्री सुखदेव लड्डा से भेंट की।श्री बालियान ने रविन्द्रनाथ टैगोर भवन में आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि 1947 में देश की आजादी के समय जब कश्मीर रियासत के भारत में विलय में देरी हो रही थी, तब पाकिस्तान की सेना ने कबालियों के साथ कश्मीर पर हमला कर दिया और उसके एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। इस बीच कश्मीर का भारत में विलय हुआ और भारतीय सेना ने कबालियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। सेना जब कश्मीर के बचे हुए हिस्से से कबाइलियों को खदेड़ रही थी, उसी बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के मन में पता नहीं क्या विचार आया कि उन्होंने युद्ध विराम कर दिया और इस मामले को संयुक्त राष्ट्रसंघ में ले गए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाकर इस समस्या के समाधान की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।कार्यक्रम के दौरान विदिशा रायसेन लोकसभा क्षेत्र के सांसद श्री रमाकांत भार्गव, जिला अध्यक्ष डॉ. राकेश सिंह जादौन, नगर पालिका अध्यक्ष श्री मुकेश टंडन, वरिष्ठ नेता श्री आनंद जैन, जिला महामंत्री श्री अरविंद श्रीवास्तव उपस्थित रहे।