हाईकोर्ट में देवस्थान विभाग की हुई जीत, लक्ष्मीनारायण मंदिर हुआ सरकारी
(देवराज सिंह चौहान) जयपुर: राजस्थान के जयपुर का अब बड़ी चौपड़ स्थित लक्ष्मीनारायण बाईजी मंदिर प्राइवेट नहीं सरकारी होगा. हाईकोर्ट के निर्णय के बाद देवस्थान विभाग जल्द ही मंदिर पर अपना कब्जा लेगा. देवस्थान विभाग में मंदिर पर कब्जा लेने की फाइल को देवस्थान मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने मंजूरी दे दी है.
खबर के मुताबिक, राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ी चौपड़ पर स्थित लक्ष्मीनारायण बाईजी मंदिर को पुजारी का निजी मंदिर मानने से इनकार कर दिया है. यानि की अब कोर्ट के आदेशों के बाद देवस्थान विभाग जल्द ही लक्ष्मीनारायण बाईजी मंदिर का कब्जा लेगा. मंदिर के महंत स्वर्गीय बंशीधर शर्मा देवज्ञ के उत्तराधिकारी महंत पुरुषोत्तम भारती सहित अन्य को इस संबंध में बडा झटका लगा है.
उच्च न्यायालय जयपुर पीठ ने देवस्थान विभाग को बड़ी चौपड़ स्थित मंदिर लक्ष्मीनारायण बाईजी मंदिर का कब्जा लेने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने साफ कहा है की विभाग को विवादित संपत्ति का कब्जा प्राप्त करने का हकदार माना है. जरूरत पड़ने पर विभाग को पुलिस व अन्य सहायता लेने की छूट है.
दरअसल, मामले के अनुसार सरकार ने बंशीधर को 1954 में मंदिर का पुजारी नियुक्त किया था. देवस्थान विभाग ने 1958 में बंशीधर का तबादला दूसरे मंदिर में कर दिया. इस पर बंशीधर ने मंदिर को अपने पूर्वजों का बताकर दावा किया. जिसे निचली अदालत ने 27 जुलाई1977 को खारिज कर दिया. इसके खिलाफ बंशीधर के वारिसों ने हाईकोर्ट में अपील की. हाईकोर्ट ने उन्हें कब्जे वाले एक कमरे से बेदखल नहीं करने के आदेश दिए.
वहीं, 1996 में दूसरी स्टे अर्जी पर हाईकोर्ट ने मंदिर को बंशीधर के वारिसों के सुपुर्द करने के निर्देश दिए. अदालत ने 19 नवंबर 1997 को अपील स्वीकार करके अधीनस्थ अदालत के आदेश को रद्द कर दिया और बंशीधर के वारिसों को मंदिर का मालिकाना हक दे दिया, इस आदेश को राज्य सरकार ने चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर पर कब्जा विवाद केस में दखल देने से इंकार करते हुए मंदिर के महंत स्व. बंशीधर शर्मा देवज्ञ के कानूनी वारिसों की एसएलपी को खारिज कर दिया था.
गौरलतब है कि, एसएलपी में हाईकोर्ट के गत 20 अप्रैल के उस आदेश को चुनौती दी थी. जिसमें अदालत ने लक्ष्मीनारायण बाईजी मंदिर को पुजारी का निजी मंदिर मानने से इंकार करते हुए इसे सरकारी संपत्ति माना था और मंदिर का कब्जा राज्य सरकार को देने के लिए कहा था.