बुजुर्ग महिला के लिए कलेक्टर ने छोड़ी कुर्सी, किया ऐसा काम लोग कर रहे तारीफ
(देवराज सिंह चौहान) नई दिल्ली: लाल बत्ती गाड़ी में घूमना, सरकारी ताम-झाम और रुतबा शहर के आला अधिकारियों की आदत में होता है, लेकिन इनमें से ही कुछ अधिकारी ऐसे भी होते हैं जो अपनी जिम्मेदारियों से ज्यादा इंसानियत को तवज्जो देते हैं. वो जितनी जिम्मेदारी से अपनी नौकरी करते हैं उतनी ही जिम्मेदारियों से अपने जिले के हर व्यक्ति का ध्यान भी रखते हैं, और ऐसा करते हुए वो लोग कई बार अपनी सीमाओं को भी तोड़ देते हैं. ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से सामने आया है, जहां कलेक्ट्रेट ने जन सुनवाई के दौरान कुछ ऐसा किया कि वहां खड़े सभी लोग भौचक्के रह गए और कलेक्ट्रेट के इस कार्य की प्रशंसा करने लगे.
दरअसल यह पूरा मामला अमरवाड़ा का है, जहां पर एक बुजुर्ग महिला कलेक्ट्रेट जन सुनवाई के दौरान बहुत देर से जमीन पर बैठकर अपनी बारी का इंतजार कर रही थी. दृष्टिबाधित होने की वजह से वो लाइन में नहीं लग सकती थी. हालांकि उसके साथ उसका बेटा भी था लेकिन वो भी दिव्यांग होने के चलते लाचार था, इसलिए वो दोनों नीचे ही बैठकर अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे. इसी बीच जन सुनवाई कर रहे एडीएम राजेश शाही की नजर उन पर पड़ी और दोनों की हालत देखकर राजेश शाही ने अपनी सीट छोड़ी और उनकी समस्या का समाधान करने उनके पास जा पहुंचे. हैरानी की बात तो यह है की एडीएम साहब इस बुजुर्ग महिला से बात करने खुद ही जमीन पर बैठ गए. पेंशन की समस्या का किया समाधान
एडीएम साहब ने बड़े ही ध्यान से बुजुर्ग महिला की बात सुनी. बुजुर्ग महिला की शिकायत थी कि उनकी पेंशन लंबे वक्त से नहीं बढ़ी है, तो एडीएम साहब ने उन्हें बताया कि जिला अस्पताल में जाकर वो सर्टिफिकेट बनवा लें, तो उनकी पेंशन बढ़ जाएगी. इसके बाद बुजुर्ग महिला ने यह भी बताया कि उसके दिव्यांग बेटे की पेंशन भी 2016 के बाद से आनी बंद हो गई है. एडीएम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए अमरवाड़ा के सीईओ को फोन किया और पूरी जानकारी लेकर तुरंत पेंशन शुरू करने के आदेश दिए. एडीएम राजेश शाही के इस कार्य की सभी लोग खुले दिल से तारीफ कर रहे हैं. सच में अगर हर जिले में ऐसा एक भी अधिकारी हो तो लोगों को परेशानियों का सामना करना ही नहीं पड़ेगा.