जहां नेता जाने से डरते हैं, वहां 30 km की दूरी तय करके मतदान करते हैं लोग
(देवराज सिंह चौहान) रायपुरः 23 सितम्बर को दंतेवाड़ा विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान है, प्रशासन ने लालआतंक से सुरक्षा के मद्देनजर 28 गांवों के मतदाताओं की शिफ्टिंग सुरक्षित इलाके में की है, लेकिन अब उन मतदाताओं को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, पहली चुनौती है 30 किलोमीटर तक की दूरी से उफनती इंद्रावती नदी पार कर इसपार आकर वोट डालना और दूसरी चुनौती नक्सली खौफ. ऐसे में लाख मुश्किलात के बावजूद लोग वोटिंग कर लोकतंत्र को जीताना चाहते हैं, लेकिन नक्सली दहशत इनके लिए चुनौती बनी हुई है. दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से करीब 27 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित बारसूर इंद्रावती नदी के उसपार बसा है, जहां नक्सलियों की हुकूमत चलती है. कच्ची सड़क और नालों के चलते लोगों का एक तरफ से दूसरी तरफ जाना मुश्किलों से भरा है, लेकिन इसके बाद भी स्थानीय लोग वोटिंग कर अपना प्रतिनिधि चुनते हैं.
कच्ची-पक्की उबड़-खाबड़ सड़क और नाले को पार कर करीब 7 किलोमीटर और जाने के बाद आया इंद्रावती नदी का तट, यहां नदी के उसपार नक्सलियों के खौफ में रहने वाले लोगों की भीड़ दिखी, पता चला भीड़ इसलिये है, क्योंकि बारसूर बाजार करके लोग लौट रहे हैं, वरना इन इलाकों में सन्नाटा रहता है.
नदी के तट पर ही उसपार जाने के लिए वोट का इन्तजार कर रहे लोग मिले, ये वहीं लोग थे जो 5 किलोमीटर से लेकर 30 किलोमीटर तक से पैदल चलकर नदी पार कर इसपार वोट देने आते हैं. नक्सली खौफ की वजह से इनमें से ज्यादातर ने कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया लेकिन 2 युवाओं ने बताया कि वो किन चुनौतियों के बीच मतदान करने आते हैं, इन लोगों ने ये भी कहा कि चाहे स्थिति जैसी हो लेकिन इसबार भी वोट डालने आयेंगे.ताज्जुब वाली बात ये भी है कि बारसूर से निकलने के कुछ किलोमीटर बाद तक हमारी टीम को फोर्स की तैनाती तो दिखी, लेकिन इंद्रावती नदी के आसपास के इलाकों में ऐसा नहीं दिखा, इस बीच बारिश होने लगी, नदी बरसात की वजह से उफान पर है, नदी के उसपार नक्सलियों के प्रभाव वाला इलाका, लेकिन इन तमाम चुनौतियों के बावजूद हमारी टीम ने उन गांवों की जमीनी हकीकत जानने वहां जाने का फैसला किया और स्थानीय आदिवासियों के साथ बोट पर सवार होकर उसपार के लिए निकल पड़े.इंद्रावती नदी के उसपार कोड़नार तुमरीगुंडा, चेरपाल, पदमेटा, हांडावाड़ा, कौर गांव जैसे कई गांव हैं जहां नक्सलियों के आतंक के किस्से आम है, नदी पार कर तट पर उतरने के बाद पहला गांव कोड़नार है. इस गांव में सरकारी भवन पर नक्सलियों के स्लोगन लिखे हैं. गांव में स्थित सरकारी बिल्डिंग जो कभी प्राथमिक शाला हुआ करती थी, उस बिल्डिंग को भी नक्सलियों ने काली स्याही से स्लोगन लिखकर पाट दिया है. गांव में कोई भी इसपार कुछ बोलने को तैयार नहीं है. हालांकि, एक युवक ने बताया कि, पहले नक्सली मतदान के बहिष्कार के लिए कहते थे, लेकिन अब नहीं. उसने बताया कि वो पिछ्ली बार वोट दे चुका है और डर-मुश्किल के बावजूद इसबार भी वोट डालने जायेगा.