मुद्रा लोन पर चौंकाने वाली रिपोर्ट- नए कारोबार में इस्तेमाल हुआ सिर्फ 20% पैसा
(देवराज सिंह चौहान) नई दिल्ली, मुद्रा कर्ज़ के 20% पैसे का इस्तेमाल नए कारोबार के लिए हुआ80% मुद्रा कर्ज़ कारोबारों के विस्तार करने के लिए दिए गए
केंद्र सरकार की ओर से 2015 में शुरू की गई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) क्या अपने मकसद में कामयाब रही है? मुद्रा योजना के तहत लोगों को अपना कारोबार शुरू करने के लिए छोटी रकम का कर्ज दिया जाता है. योजना का मकसद था कि गैर कृषि क्षेत्र में स्वरोजगार के लिए आसान कर्ज़ दिया जाए और फिर छोटे कारोबारों के जरिए रोजगार सृजित किए जाएं.
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना सर्वे पर ड्राफ्ट रिपोर्ट को शीघ्र सार्वजनिक किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक ड्राफ्ट रिपोर्ट में बताया गया है कि जितने भी मुद्रा कर्ज़ बांटे गए उनमें से सिर्फ 20% का इस्तेमाल ही नए कारोबार शुरू करने में हुआ. 80% मुद्रा कर्ज़ ऐसे लोगों को दिए गए जो पहले से चल रहे अपने कारोबारों का विस्तार करना चाहते थे.
मुद्रा योजना का जो मुख्य उद्देश्य था कि नए रोजगार सृजित किए जाएं वो पहली नज़र में पूरा होता नहीं दिखता. अधिकतर कर्ज़ शिशु श्रेणी (50,000 रुपए तक) में बांटे गए. ऐसे कर्ज़ का हिस्सा बांटे गए कुल मुद्रा कर्ज़ का 42% है. इसके बाद 34% किशोर श्रेणी (50,000 से 5 लाख रुपए) और 24% तरुण श्रेणी (5 लाख से 10 लाख रुपए) में मुद्रा कर्ज़ बांटे गए.
मुद्रा योजना का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 अप्रैल 2015 को किया. रोजगार सृजन और कारोबार शुरू करने की इस फ्लैगशिप योजना के लिए निजी और सरकारी क्षेत्र के बैंकों, माइक्रो फाइनेंस संस्थानों से 50,000 रुपए से लेकर 10 लाख रूपए तक के कर्ज़ बांटे जा रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक ड्राफ्ट रिपोर्ट के लिए मुद्रा कर्ज लेने वाले जिन 94,375 लाभार्थियों का सर्वे किया गया उनमें से सिर्फ 19,396 (20.6%) ने ही नए कारोबार शुरू करने के लिए मुद्रा कर्ज़ की रकम का इस्तेमाल किया. रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2015 से दिसंबर 2017 के बीच 12.27 करोड़ कर्ज खातों के ज़रिए 5.71 लाख करोड़ रुपए बांटे गए.