बेखौफ होकर घूम रहे छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपी IAS अधिकारी, ले रहे अवार्ड
(देवराज सिंह चौहान) पटना : एससी/एसटी छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपी प्रधान सचिव स्तर के अधिकारी एसएम राजू को भले ही बिहार की शासन-प्रशासन व्यवस्था वर्षों से नहीं ढूंढ पा रही है. उन्हें भगोड़ा घोषित करने की तैयारी कर रही है, लेकिन वरिष्ठ अधिकारी एमएस राजू पूरे देश का दौरा कर रहे हैं. दिल्ली में केंद्रीय मंत्री से समाजसेवा का अवार्ड भी ले रहे हैं. इतना ही नहीं वह इससे संबंधित फोटो और वीडियो नियमित रूप से सोशल मीडिया में पोस्ट भी कर रहे हैं. विपक्ष ने अब इसे मुद्दा बना लिया है. सरकार पर सवाल उठा रही है.
वरिष्ठ अधिकारी एमएस राजू केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते से आवार्ड लेते हुए दिखे. 1991 बैच के आईएस अधिकारी को बिहार सरकार तलाश रही है. एक, दो महीनों से नहीं, बल्कि पूरे तीन वर्षों से ढूंढ रही है. बिहार सरकार से निलंबित चल रहे प्रधान सचिव स्तर के अधिकारी बेखौफ होकर घूम रहे हैं. दिल्ली, भुवनेश्वर, पणजी जैसे तमाम शहरों में अपनी दैवीय चमत्कारिक ड्रिंग का प्रचार कर रहे हैं. सेमिनार में भाग ले रहे हैं. समाज सेवा का अवार्ड ले रहे हैं.एसएम राजू पर कहीं फूलों की बरसात हो रही है, तो कहीं पगड़ी पहनाकर और स्मृति चिन्ह देकर उन्हें सम्मानित किया जा रहा है. सरकार से जुड़े मंत्री कानून के राज की दुहाई दे रहे हैं. कह रहे हैं कि देर भले ही हो रही है, लेकिन कार्रवाई तो होगी.
एसएम राजू को बिहार सरकार भगोड़ा घोषित करने की तैयारी कर रही है. जिस चमत्कारिक पेय के प्रचार में वह लगे हैं, उसको लेकर बिहार में खूब चर्चा हुई थी. इसके अलावा पर्यावारण सुधारने के लिए तिरहुत कमिश्रर रहते हुये एसएम राजू ने एक दिन में एक करोड़ पेड़ लगवाने का रिकार्ड बनाया था. लेकिन 2013-14 में जब छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया तो वह अचानक बिहार से गायब हो गये. उसके बाद वापस बिहार नहीं आए. सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया. नोटिस जारी करती रही, लेकिन एसएम राजू का पता नहीं चला. इस पूरे मामले पर विपक्ष के नेता कह रहे हैं कि बिहार में कुछ भी हो सकता है.
जिस तरह से एसएम राजू निलंबित होने के बाद से ड्युटी से गायब हैं और निगरानी में अपने खिलाफ दर्ज मामले का सामना करने से बच रहे हैं. सरकार के नोटिस का जवाब नहीं दे रहे हैं. उससे साफ है कि उन्हें बिहार के शासन-प्रशासन और कानून की परवाह नहीं है. वहीं, सवाल ये भी है कि सुशासन की बात करनेवाली सरकार भी करोड़ों के गबन के आरोपी अधिकारी को खोजने का थोड़ा भी प्रयास नहीं कर रही है. केवल फाइलों के सहारे खानापूर्ति की कार्रवाई जारी है.