जिस युवक की हत्या का वर्षों से मुकदमा झेल रहे थे 3 पुलिसकर्मी, वह 14 साल बाद जीवित मिला
(देवराज सिंह चौहान) लुधियाना: जिस युवक की हत्या के मामले में तीन पुलिसकर्मी वर्षों से केस झेल रहे हैं वह 14 साल बाद जीवित मिला है. परिवार ने उसकी हत्या के आरोप में काफी जिद्दोजहद के बाद तीन पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज कराया था. परिवार को सरकार की ओर से मुआवजा राशि भी मिली थी. कत्ल के इस मामले में 14 वर्ष से रिटायर्ड डीएसपी अमरजीत सिंह खैहरा, एएसआइ जसवंत सिंह और (तत्कालीन हवलदार) एएसआइ काबल सिंह मुकदमे का सामना कर रहे हैं. पुलिस ने जीवित मिले इस युवक को गिरफ्तार कर लिया है.
एएसआई जसवंत सिंह ने बताया कि जब वह 2005 में थाना डेहलों के तौर पर तैनात थे, तब 25 अगस्त 2005 को अन्य पुलिसकर्मियों के साथ गांव रंगीयां के हरदीप सिंह पुत्र नगिंदर सिंह को मोटरसाइकिल पर 70 किलोग्राम भुक्की के साथ गिरफ्तार किया था. उसके खिलाफ थाना डेहलों में मुकदमा दर्ज किया गया. पुलिस जब उसे पूछताछ के लिए ला रही थी तो वह किला रायपुर सूए के पास चकमा देकर फरार हो गया.
इसके बाद नगिंदर सिंह ने बेटे हरदीप सिंह को पुलिस हिरासत में अवैध तौर पर रखे जाने की शंका में 28 अगस्त 2005 को वारंट अफसर से रेड करवाई. वारंट अफसर ने थाना डेहलों और लताला पुलिस चौकी की तलाशी ली लेकिन हरदीप वहां नहीं मिला. उस समय वारंट अफसर को बताया गया कि हरदीप के खिलाफ भुक्की बरामदगी और पुलिस को चकमा देकर भगाने के आरोप में मुकदमे दर्ज हैं.
17 सितंबर 2005 को गांव दाया कलां के छप्पड़ से एक अज्ञात व्यक्ति का शव बरामद हुआ. हरदीप सिंह के पिता नगिंदर सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी कि जो शव छप्पड़ से बरामद हुआ वह उसके बेटे हरदीप का था. हरदीप की हत्याकर शव को पुलिस ने फेंका है. हाईकोर्ट ने एडीजीपी क्राइम को जांच सौंपी. जांच रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि जो शव छप्पड़ से मिला था, वह हरदीप सिंह का नहीं बल्कि किसी अन्य व्यक्ति का था. हरदीप सिंह की मौत नहीं हुई.
उन्होंने अपने पत्र में हरदीप सिंह, नगिंदर सिंह और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की, जिस पर एएसआइ सुखबीर सिंह ने मामला दर्ज किया. सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन हरदीप सिंह इस मामले में भगोड़ा करार दिया गया.
नगिंदर सिंह ने एक बार फिर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए इस मामले की जांच की मांग की. हाईकोर्ट के आदेश पर लुधियाना के सेशन जज ने जांच की और उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जो शव गांव दाया कलां के छप्पड़ से मिला वह हरदीप सिंह का ही था. इसे पुलिस ने अज्ञात करार देकर भादसं की धारा 174 की कार्रवाई की है. सेशन जज ने तत्कालीन डीएसपी अमरजीत सिंह खैहरा, एएसआइ जसवंत सिंह और हवलदार काबल सिंह के खिलाफ हत्या के आरोप में मामला दर्ज करने के निर्देश दिए। 21 अगस्त 2010 को हत्या का केस दर्ज किया गया. नगिंदर सिंह इस मामले में हाईकोर्ट पहुंचे तो हाईकोर्ट ने जांच एसआइटी से करवाने के आदेश दिए. इस पर एसपी क्राइम गुरदयाल सिंह, एसपी भूपिंदरसिंह, एसपी महिंदर सिंह छोकर, डीएसपी नरिंदरपाल सिंह रूबी, डीएसपी वालिया और लथाना डेहलों के प्रभारी को जांच सौंपी गई. डन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गांव दाया कलां से मिला शव हरदीप सिंह का नहीं था. अदालत ने पुलिस की कैंसिलेशन रिपोर्ट को नामंजूर कर दिया. इस वक्त हरदीप सिंह जगराओं पुलिस की हिरासत में है.