श्रावण महोत्सव की पांचवी संध्या पर गायन, वादन एवं नृत्य की रस वर्षा ने श्रोताओं का मनमोहा
उज्जैन। श्रावण-भाद्रपद माह की रिमझिम और भक्तिरस की भावधारा में श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा प्रत्येक रविवार को आयोजित श्रावण महोत्सव के पांचवे रविवार की संध्या का आरंभ बनारस घरानें के तीन बार ग्रेमी अवार्ड के लिए नामांकित रह चुके सुप्रसिद्ध बांसुरी वादक पं. अजय प्रसन्ना की प्रस्तुति से हुआ। दूसरी प्रस्तुति मुम्बई (उज्जैन मूल) डागर घराने के ध्रुपद गायक श्री भूपेन्द्र पाठक की हुई । तीसरी प्रस्तुति में जयपुर घराने की दिल्ली से आयी सुश्री समीक्षा शर्मा अरूण के कथक नृत्य के बाद कार्यक्रम का समाहार रायगढ़ घराने से उज्जैन की सुरभि पाराशर के पारंपरिक कथक नृत्य से हुआ।
श्रावण महोत्सव की पहली प्रस्तुति बनारस घरानें के सुप्रसिद्ध बांसुरी वादक पं. अजय प्रसन्ना की हुई। श्री प्रसन्ना ने अपनी प्रस्तुति का प्रारंभ राग सुरमल्हार सें किया। जिसमें आलाप, तान, जोड के बाद इसी राग में बंदिश ”बरसन लागी बदरा…” की प्रस्तुति के बाद राग हंसध्वनि में बंदिश व तबले के साथ सवाल–जवाब (जुगलबंदी) की शानदार प्रस्तुति दी। श्री प्रसन्ना ने अपने कार्यक्रम का समाहार ”बरसन लागी सावन बुंदिया…” की धुन की प्रस्तुति से साथ किया। आपके साथ तबले पर श्री अरूण कुशवाह व तानपूरे पर सुश्री चंचल लुढेले ने प्रभावी संगत की।
दूसरे क्रम के कलाकार के रूप में मुंबई (उज्जैन मूल) के ध्रुपद गायक श्री भूपेन्द्र पाठक ने अपनी प्रस्तुति का प्रारंभ राग शंकरा में आलाप से किया। उसके पश्चात इसी राग में झपताल मध्यलय में श्रृंगार रस प्रधान बंदिश ”वारू री मृगद्गन को…” की प्रस्तुति के बाद समाहार राग शंकरा सूलताल में निबद्ध ध्रुपद प्रथम आदि शक्ति नाद परमेश्वर… से किया। आपके साथ पखावज संगत पर श्री संजय आगले व तानपुरे पर श्री ओंमकार कोल्हटकर व श्री जनार्दन गायकवाड ने की।
तीसरी प्रस्तुति जयपुर घराने से दिल्ली की सुप्रसिद्ध कथक नृत्यांगना सुश्री समीक्षा शर्मा अरूण के कथक नृत्य की हुई। सुश्री शर्मा ने अपनी प्रस्तुति का प्रारंभ शिव के अघोरी मुख का वर्णन करते हुए राग मालकौस चौताल पर आधारित ध्रुपद ”शंकर अति प्रचंड नाचत कर डमरू बाजे…” से किया। कार्यक्रम को आगे बढाते हुए पारंपरिक कथक तीनताल में चलन, ठाठ, आमद, गणेश परन, तिहाईयॉ, लमछड परन, कवित्त, ५३ चक्कर, गतनिकास आदि की प्रस्तुति दी। प्रस्तुति का समाहार सूरदास द्वारा रचित पद राग मिश्रदेस अद्धा तीनताल में निबद्ध ”झुनक श्याम की पैंजनिया…” से किया। इनके साथ तबले पर श्री मोहित गंगानी, गायन पर श्री अरूण दु्बे, सारंगी पर श्री अयूब खान, पढन्त पर सुश्री निकिता सिंह ने संगत की।
श्रावण महोत्सव के पॉचवे रविवार को चौथी व अन्तिम प्रस्तुति में उज्जैन की सुश्री सुरभि पाराशर ने कथक नृत्य के माध्यम से बाबा महाकालेश्वर को नृत्यांजली प्रदान की। रायगढ़ घराने की सुश्री पाराशर ने अपने नृत्य प्रदर्शन का आरंभ राग हंसध्वनि चौताल पर आधारित भजन ”महादेव शिव हर-हर, कालों के महाकाल….” से किया। शिव स्तुति के बाद शुद्ध कथक तीनताल में ठाठ, तोडे, आमद, परन, तिहाईयां चक्रदार बोल एवं रायगढ घराने की विशेषताओं से परिपूर्ण बंदिशों की प्रस्तुति दी। आपने कार्यक्रम का समाहार राग देसराग झपताल में कृष्ण की राधा एवं सखियों के साथ छेडछाड का भाव प्रस्तुत करती बंदिश ”देखो री न माने श्याम….” की मनमोहक प्रस्तुति से किया। आपके साथ तबले पर श्री अरूण कुशवाह, गायन श्री आस्तिक उपाध्याय, वायलिन श्री संजय झंवर, सितार पर डॉ. विनिता माहुरकर व पढंत पर सुश्री अंजना चौहान ने प्रभावी संगत दी।
दीप प्रज्जवलन के पश्चात उज्जैन के कला जगत में अपना शीर्ष स्थान रखने वाले व कार्यक्रम के अतिथी के तौर पर पधारे नगर के वरिष्ठ एवं प्रतिष्ठित कलाकार श्री उमा शंकर भट्ट, श्री ललित महंत, वरिष्ठ गायक श्री उमेश भट्ट एवं संतूर वादिका सुश्री वर्षा अग्रवाल के साथ, मुख्य चिकित्सा अधिकारी सुश्री रजनी डावर तथा प्रस्तुति हेतु पधारे सभी कलाकारों एवं सहयोगी कलाकारों का दुपट्टा] प्रसाद व स्मृति चिन्ह़् देकर उपप्रशासक श्री आशुतोष गोस्वामी, श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य श्री विजयशंकर पुजारी] श्री आशीष पुजारी] श्री दीपक मित्तल] सहा.प्रशासनिक अधिकारी श्री दिलीप गरूड] सुश्री कालिंदी ढापरे] सुश्री ममतारानी शर्मा द्वारा स्वागत व सम्मान किया गया। आभार प्रदर्शन डॉ. प्रकाश रघुवंशी द्वारा किया गया। मंच संचालन श्रीमती अनामिका शर्मा द्वारा किया गया, साथ ही कलाकारों का परिचय डॅा.विनिता माहूरकर, पं.माधव तिवारी, श्री सुदर्शन अयाचित द्वारा दिया गया ।
श्रावण महोत्सव की अगली प्रस्तुति २५ अगस्त २०१९ रविवार में बडोदरा की सुश्री मेधा भोसले का शास्त्रीय गायन, श्रीमती प्रियंका वैद्य के अनादि नृत्य कला संस्थान इन्दौर के समूह कथक तथा इन्दौर के श्री सुनील मसूरकर के शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति होगी।