म.प्र. शिक्षक संघ ने अपनी मांगों को लेकर जिलाधीश को दिया ज्ञापन
देवास। म.प्र. शिक्षक संघ ने प्रधानमंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्री तथा मुख्यमंत्री के नाम 14 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन जिलाधीश को सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई कि नवीन पेंशन योजना शिक्षकों के लिए अहितकारी है। अत: नवीन पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना पुन: प्रतिस्थापित की जाए। शिक्षा में तदर्थवाद समाप्त किया जाए। शिक्षकों का चयन एवं नियुक्ति स्थायी आधार पर हो। प्रारंभिक शिक्षा का स्वरूप यथावत रखा जावे। संपूर्ण देश में सेवानिवृत्ति की आयु, सेवा शर्ते, वेतनमान एवं भत्ते आदि केन्द्र के समान रखे जावें। शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यो से पूर्णत: मुक्त रखा जावे। प्राथमिक विद्यालयों में कक्षावार शिक्षक दिए जावें। केन्द्र सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षा के लिए दिया गया बजट प्राथमिक शिक्षा पर ही व्यय किया जावे। मिड-डे-मील एंव अल्पाहार की व्यवस्था शिक्षकों द्वारा निष्पादित की जाने से शैक्षणिक कार्य प्रभावित होते हैं। अत: मिड-डे-मील की व्यवस्था के लिये पृथक प्रणाली विकसित की जाए। प्रारंभिक शिक्षा के शिक्षकों के लिये प्रादन्नति के अवसर नगण्य हैं। यही नहीं सेवाकाल में अतिरिक्त योग्यता /विशिष्ट योग्यता हासिल करने वाले शिक्षकों के लिये कैरियर उन्नति योजना का अभाव है। अत: प्रारंभिक शिक्षा क्षेत्र में पदोन्नति एवं समुचित प्रोत्साहन योजना/ प्रणाली विकसित की जावे। शालेय शिक्षा आयोग का गठन किया जावे। प्रारंभिक शिक्षा के नियमन के लिए राज्य स्तर पर प्रभावी स्वायत्त तंत्र विकसित किया जावे। प्रत्येक विद्यालय में एक आया एवं एक सहायक कर्मचारी (केयर टेकर)की नियुक्ति की जावे। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत पालकों, अभिभावको की भी जवाबदारी तय की जावे। प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों को चिकित्सकीय भत्ता एवं अस्पताल में भर्ती करने की सुविधा केन्द्र्र की भांति सभी राज्यों में प्रदान की जावे। प्राथमिक शिक्षा के शिक्षकों को विधान परिषद में मत देने का अधिकार दिया जावे। इस अवसर पर प्रांतीय संगठन मंत्री देवकृष्ण व्यास, संभागीय कोषाध्यक्ष उदलसिंह परमार, जिलाध्यक्ष शिवेश शर्मा, जिला सचिव मोहन बेरागी, जिला कोषाध्यक्ष कमलकांत मेहता, दिनेश सिसोदिया, बसंत व्यास, भगवानदास मेहता, भूपेन्द्र माली आदि उपस्थित रहेे।