उज्जैन

भारतीय संविधान में डॉ. अम्बेडकर की आत्मा बसती

उज्जैन। डॉ. अम्बेडकर ने सदियों से चली आ रही कुरीतियों, रूढ़ियों, परम्पराओं को मिटाकर विश्व मानवता को स्थापित किया है। जीवन के व्यवहार, मूल्यों को स्थापित करते हुए डॉ. अम्बेडकर ने जागरूकता का कार्य किया। उनका मानना था प्रकृति ने सभी को समान बनाया है तो फिर परस्पर भाईचारे को स्थापित करते हुए समाज निर्माण क्यों नहीं? सामाजिक-आर्थिक स्तर पर भेदभाव की गहरी खाई पाटने के वैश्विक स्तर पर बुद्ध दर्शन को स्थापित किया। उक्त विचार विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक, हिन्दी अध्ययनशाला के अध्यक्ष एवं आचार्य, साहित्यकार हिन्दी सेवी प्रो. शैलेन्द्र शर्मा ने शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय माधवनगर में डॉ. अम्बेडकर पीठ द्वारा आयोजित व्याख्यान में व्यक्त किए। ”वर्तमान में डॉ. भीमराव अम्बेडकर के विचारों की  संगिकताÓÓ विषय पर विचार व्यक्त करते हुए वर्तमान में संकीर्ण मानसिकता को समाप्त कर शुद्ध-पवित्र उद्देश्य को स्थापित करना होगा, अर्थात् आत्मसम्मान और समानता की आवश्यकता है। समाज का प्रत्येक व्यक्ति स्वावलंबी हो, सबके प्रति समान व्यवहार हो, सबके प्रति करुणा, सहानुभूति हो तभी राष्ट्र राज्य का विकास संभव है। अम्बेडकर दर्शन का मूल है – सहानुभूति – समता – स्वतंत्रता जो व्यक्ति निर्माण के स्थायी स्तम्भ हैं। समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व ही समाज की प्राथमिकता है और सहानुभूति का भाव सामाजिक न्याय है। भारतीय संविधान का मूल ही सामाजिक न्याय है और संविधान में डॉ.अम्बेडकर की आत्मा बसती है। डॉ. अम्बेडकर दर्शन की प्रासंगिकता सृष्टि में जीवन तक रहेगी। स्वागत भाषण व डॉ. अम्बेडकर पीठ का परिचय देते हुए प्रभारी निदेशक डॉ. एस.के. मिश्रा ने कहा बाबा साहेब का व्यक्तित्व विशाल और बहुआयामी है। अपने समय की सामाजिक, आर्थिक विषम, विकट और विपरीत परिस्थितियों के बीच अपना रास्ता बनाया। आधुनिक भारत के रचयिता डॉ. अम्बेडकर ने अपने गंभीर, मौलिक विचारों से विश्व को नयी व सकारात्मक दृष्टि दी है। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए विद्यालय के प्राचार्य, प्रयोगधर्मी शिक्षाविद् डॉ. भरत व्यास ने कहा किसी भी व्यक्ति के विचारों की प्रासंगिकता उसने जीवनकाल में किस प्रकार के कार्य किए हैं, कैसे साहित्य का सर्जन किया है। डॉ.अम्बेडकर के विचार, चिंतन, साहित्य सर्वकालिक है। समाज का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जिस पर उनका चिन्तन न हो। डॉ. अम्बेडकर ने विश्व के सारे धर्मों का गहन व विस्तृत अध्ययन किया। भारत के हर जीवन क्षेत्र के बारे में जाना। शायद ही ऐसा कोई विषय नहीं होगा जो अम्बेडकर से अछूता हो। डॉ. अम्बेडकर का स्वविवेक, स्वप्रेरणा ने ही उन्हें महान् बनाया है। कार्यक्रम का शुभारंभ भारतरत्न डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर माल्यार्पण पर ज्योति प्रज्जवलन से हुआ। अतिथियों का स्वागत डॉ. अम्बेडकर पीठ के प्रभारी निदेशक डॉ. एस.के. मिश्रा ने किया। कार्यक्रम का संयोजन-संचालन-आभार डॉ. अम्बेडकर पीठ की शोध अधिकारी डॉ. निवेदिता वर्मा ने किया।