ईंधन बचाने, पर्यावरण बचाने के संदेश के साथ पैदल चलेगा उज्जैन
उज्जैन।(देवराज सिंह चौहान) ईंधन बचाने, पर्यावरण बचाने के संदेश के साथ उज्जैनवासी पैदल चलेंगे। पीसीआरए (पेट्रोलियम कंजर्वेशन रिसर्च एसोसिएशन) द्वारा सक्षम महोत्सव के माध्यम से ईंधन और पर्यावरण बचाने के प्रति जनजागृति लाई जाएगी। गैल इंडिया द्वारा इसे लेकर शहर में वॉकेथॉन इवेंट आयोजित किया जाएगा।
गैल इंडिया के जनरल मैनेजर राजू मसने ने होटल अंजूश्री में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में बताया कि पीसीआरए द्वारा १६ जनवरी से १५ फरवरी तक सक्षम महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। इसके अंतर्गत ९ फरवरी को उज्जैन में वॉकेथॉन इवेंट आयोजित किया जाएगा। इसके अंतर्गत शहर में लगभग १२०० से अधिक लोग ईंधन बचाने, पर्यावरण संरक्षण के संदेश के साथ ३.२ किलोमीटर की पैदल यात्रा करेंगे। पॉलिटेक्निक कॉलेज से पैदल यात्रा निकाली जाएगी। यह पैदल यात्रा पॉलिटेक्निक कॉलेज से देवास रोड लोटस शोरूम से कलेक्टर बंगले होते हुए वापस पॉलिटेक्निक कॉलेज में समाप्त होगी। इसके लिए सुबह ७ बजे से ही पंजीकरण शुरू कर दिया जाएगा। अभी तक ८०० लोगों ने इसके लिए पंजीकरण कर लिया है। सक्षम के माध्यम से जनता को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाएगा।
श्री मसने ने आगे बताया कि विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी पी सी आर ए, भारत सरकार के तेल एवं गैस कंपनियों के सहयोग से सक्षम अर्थात संरक्षण क्षमता महोत्सव-2020 का आयोजन देश के विभिन्न भागों में 16 जनवरी से 15 फरवरी तक कर रही है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य लोगों को स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करना है तथा साथ ही साथ देश के तेल आयात की निर्भरता को कम करना है। इस वर्ष सक्षम-2020 की टैगलाइन है ‘ईधन अधिक ना खपाएँ, आओ पर्यावरण बचाएंÓ।
सक्षम-2020 के अंतर्गत 9 फरवरी को देश के करीब 624 शहरों में एक साथ ‘सक्षम फिट इंडिया वॉकेथॉनÓ के रूप में आयोजित किया जा रहा है। इस बार इसमें फिट इंडिया जोड़ा गया है क्योंकि फिट इंडिया ही सक्षम इंडिया बन सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण के साथ-साथ स्वास्थ्य संरक्षण भी अति आवश्यक है।
आप सब जानते हैं कि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से अग्रसर हो रहा है जिसके साथ ईंधन एवं ऊर्जा की जरूरते भी बढ़ जाएंगी। आज के इस दौर में प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण उतना ही आवश्यक है जितना देश का संपूर्ण विकास। हमें इन दोनों के मध्य जरूरी संतुलन बनाकर चलना पड़ेगा। इस दृष्टिकोण से हम भविष्य में ऊर्जा बचा सकेंगे एवं वांछित विकास लक्ष्य भी प्राप्त कर सकते हैं। अत: आइए हम इसमें अपना यथा संभव योगदान दें। आज भारत विश्व का तीसरा सर्वाधिक ऊर्जा खपत करने वाला देश है। प्रारंभिक ऊर्जा की जरूरतों में विश्व में भारत का हिस्सा 2040 में करीब 11 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा जो आज के परिपेक्ष से दुगुना है। वर्ष 2018-19 में भारत की तेल पर आयात निर्भरता 84 प्रतिशत तथा प्राकृतिक गैस पर 47 प्रतिशत रही है। अत: हम सभी को मिलकर ईंधन संरक्षण के लिए काम करना होगा। तेल एवं गैस के संरक्षण में न्यूनतम उपयोग से हम अत्यधिक रूप से आयात व्यय को कम कर सकते हैं तथा हम इस व्यय को देश निर्माण के विभिन्न प्रकल्पों में लगा सकते हैं। ईंधन बचाने के लिए हम विभिन्न उपायों को अंगीकृत कर सकते हैं। हम सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग कर सकते हैं, कार्यालय आने जाने के लिए कारपूल कर सकते हैं, दूरी कम हो तो हम साइकिल का प्रयोग कर सकते हैं, गाड़ी को चलाते समय हम विभिन्न दिशा निर्देशों का पालन करते हुए तेल बचा सकते हैं। ये जो उपाय बताए गए हैं ये केवल हम अपने जीवन शैली में बदलाव लाकर कर सकते हैं तथा हम एक नए भारत के निर्माण की प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। पत्रकार वार्ता में बी.के. अग्रवाल, विष्णु सेनापति भी उपस्थित थे।