देश में बने इस विमान को खरीद भारतीय वायुसेना ने बचाए 10 हजार करोड़
भारतीय वायुसेना ने देश में निर्मित हल्के लड़ाकू विमान (Light Combat Aircraft – LCA) तेजस को खरीदकर 10 हजार करोड़ रुपए बचाए हैं. वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय के जरिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से यह डील की है.
3 साल में ही कम कर ली डील की कीमत
नवंबर 2016 में वायुसेना ने 50,025 करोड़ रुपए में 83 तेजस मार्क-1ए की खरीदी को मंजूरी दी थी. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों की माने तो इस डील पर अंतिम समझौता करीब 40 हजार करोड़ रुपए में हुआ है. यानी पिछली कीमत से करीब 10 हजार करो़ड़ रुपए कम. (फोटोः तेजस में उड़ान भरने के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह.)
अब तक की सबसे बड़ी स्वदेशी डिफेंस डील
वायुसेना और HAL के बीच हुआ यह समझौता देश में सबसे बड़ा स्वदेशी रक्षा सौदा है. उम्मीद जताई जा रही है कि इसपर औपचारिक घोषणा लखनऊ में फरवरी महीने में होने वाले डेफएक्सपो में की जाएगी.
एयरो इंडिया में तेजस को मिला था क्लीयरेंस
सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्थनेस एंड सर्टिफिकेशन ने इस साल की शुरुआत में बेंगलुरू में एयरो इंडिया शो के दौरान तेजस को अंतिम परिचालन मंजूरी दी थी. इस दौरान तेजस की कई क्षमताओं की जांच कर उन्हें वायुसेना के लिहाज से उपयुक्त पाया गया था.
अब तक वायुसेना को 18 तेजस शामिल किए गए
वायुसेना ने इससे पहले 40 तेजस खरीदने के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसमें से अब तक 18 तेजस भारतीय वायुसेना को सौंपे जा चुके हैं. इनके लिए सुलूर में एक स्क्वॉड्रन का बनाया गया है.
PAK-चीन के थंडरबर्ड से कई गुना दमदार है तेजस
तेजस विमान पाकिस्तान और चीन के संयुक्त उत्पादन थंडरबर्ड से कई गुना ज्यादा दमदार है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जब तेजस की प्रदर्शनी की बात की गई थी, तब पाकिस्तान और चीन ने थंडरबर्ड को प्रदर्शनी से हटा लिया था. ये बात है बहरीन इंटरनेशनल एयर शो की. तेजस चौथी पीढ़ी का विमान है, जबकि थंडरबर्ड मिग-21 को सुधारकर बनाया जा रहा है.
पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी ने दिया था नाम ‘तेजस’
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा बनाए गए इस विमान का आधिकारिक नाम ‘तेजस’ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने दिया था. यह संस्कृत का शब्द है. जिसका अर्थ होता है अत्यधिक ताकतवर ऊर्जा.
क्यों भारतीय सेनाओं के लिए खास है LCA तेजस?
तेजस हवा से हवा में हवा से जमीन पर मिसाइल दाग सकता है.इसमें एंटीशिप मिसाइल, बम और रॉकेट भी लगाए जा सकते हैं.तेजस 42% कार्बन फाइबर, 43% एल्यूमीनियम एलॉय और टाइटेनियम से बनाया गया है.तेजस सिंगल सीटर पायलट वाला विमान है, लेकिन इसका ट्रेनर वेरिएंट 2 सीटर है.यह अब तक करीब 3500 बार उड़ान भर चुका है.तेजस एक बार में 54 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है.LCA तेजस को विकसित करने की कुल लागत 7 हजार करोड़ रुपए रही है.
भारत को क्यों पड़ी तेजस की जरूरत?
एयरफोर्स के पास 33 स्क्वॉड्रन हैं. एक स्क्वॉड्रन में 16-18 फाइटर होते हैं.इन 33 में से 11 स्क्वॉड्रन्स में MiG-21 और MiG-27 फाइटर हैं.इनमें से भी सिर्फ 60% ही ऑपरेशन के लिए तैयार हैं.मिग-21 और मिग-27 की हालत अच्छी नहीं है. हादसे होते रहे हैं.एक्सपर्ट्स की मानें तो चीन-पाकिस्तान के खतरे को देखते हुए भारत को 45 स्क्वॉड्रन चाहिए.तेजस 34th स्क्वॉड्रन है. फ्रांस से राफेल मिलने पर वह 35th स्क्वॉड्रन होगी.
जानिए इसकी गति और ताकत के बारे में
2222 किमी प्रति घंटा की गति से उड़ान भरने में सक्षम.3000 किमी की दूरी तक एक बार में भर सकता है उड़ान.43.4 फीट लंबा और 14.9 फीट ऊंचा है तेजस फाइटर.13,500 किलो वजन होता है सभी हथियारों के साथ.
इन हथियारों से लैस हो सकता है तेजस विमान
6 तरह की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइले हो सकती हैं तैनात. ये हैं- डर्बी, पाइथन-5, आर-73, अस्त्र, असराम, मेटियोर. 2 तरह की हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें यानी ब्रह्मोस-एनजी और डीआरडीओ एंटी-रेडिएशन मिसाइल और ब्रह्मोस-एनजी एंटी शिप मिसाइल. इसके अलावा इसपर लेजर गाइडेड बम, ग्लाइड बम और क्लस्टर वेपन लगाए जा सकते हैं.