नागरिकता कानून के खिलाफ मचा बवाल क्या NRC के विरोध का ट्रेलर है?
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ मुस्लिम समुदाय ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है. देश की राजधानी दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र सहित उत्तर भारत के अलग-अलग शहरों में आंदोलन बढ़ता जा रहा है. हर किसी की एक ही राय है कि मोदी सरकार द्वारा लाया गया ये कानून संविधान के खिलाफ है और अल्पसंख्यकों के खिलाफ माहौल बनाता है.
- नागरिकता कानून के खिलाफ देश भर में आंदोलन
- CAA को एनआरसी से जोड़कर देखा जा रहा है
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ लोगों का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. नागरिकता के इस नए कानून को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन जारी है. पूर्वोत्तर के लोग अस्मिता और संस्कृति को बचाने का हवाला देकर संघर्ष कर रहे हैं तो मुस्लिम समाज इस कानून को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताकर विरोध कर रहा है. उन्हें लगता है कि इस विधेयक के जरिए मुसलमानों को आने वाले समय में एनआरसी प्रक्रिया के कारण दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं. इसीलिए CAA के खिलाफ मचे बवाल को NRC के विरोध का ट्रेलर माना जा रहा है.
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ मुस्लिम समुदाय ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है. देश की राजधानी दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र सहित उत्तर भारत के अलग-अलग शहरों में आंदोलन बढ़ता जा रहा है. हर किसी की एक ही राय है कि मोदी सरकार द्वारा लाया गया ये कानून संविधान के खिलाफ है और अल्पसंख्यकों के खिलाफ माहौल बनाता है.
नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, बंगालदेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को देश की नागरिकता देने का प्रावधान है. CAA में सिर्फ हिंदू-जैन-सिख-ईसाई-पारसी-बौद्ध शरणार्थियों को नागरिकता मिल सकेगी. ऐसे में बाद में NRC के तहत इसका सीधा असर मुस्लिम समुदाय पर पड़ने की आशंका है. इसीलिए मुस्लिम समुदाय इस कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध जाहिर कर रहे हैं.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान जारी कहा था, ‘यह तर्क बिल्कुल गलत है कि नागरिकता विधेयक का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है. यह बिल इसलिए लाया गया है ताकि मुसलमानों के लिए एनआरसी प्रक्रिया को कठिन बना दिया जाए. नागरिकता संशोधन विधेयक नागरिकों के मौलिक अधिकारों का भी हनन करता है. इस कानून के निहितार्थ को देखा जाना बाकी है, लेकिन जब एनआरसी पूरे देश में लागू होगी तो यह उन लाखों मुस्लिम के लिए श्राप साबित होगा जो किसी कारण से अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सकेंगे.’
NRC पर सवाल क्यों खड़े हो रहे हैं?
मुस्लिम संगठनों और नेताओं का दावा है कि देशभर में NRC लागू करने को लेकर CAA सिर्फ पहला चरण है. अगर NRC पूरे देश में आता है, तो जिन लोगों को बाहरी बताया जाएगा उसमें अधिकतर संख्या मुस्लिम समुदाय की हो सकती है. तर्क ये भी है कि अगर NRC से किसी और समुदाय के लोग निकलते हैं, तो उन्हें नए कानून के जरिए नागरिकता भी दी जा सकती है लेकिन सीधा असर मुस्लिम समुदाय पर पड़ने वाला है.
असम में जारी है विरोध
असम में हुई NRC में इसका उदाहरण दिखा था, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों से ज्यादा गैर-मुस्लिम की संख्या ज्यादा थी. ऐसे में अब नए नागरिकता कानून के तहत गैर-मुस्लिम को नागरिकता मिल जाएगी, लेकिन मुस्लिम इससे बाहर होंगे. इसीलिए नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ असम के लोग सड़कों पर प्रदर्शन लगातार बढ़ता जा रहा है. असम के लोगों को लगता है कि इस कानून के जरिए सभी तरह के शरणार्थियों को नागरिकता देना सही नहीं है.
दिल्ली में भी आंदोलन हुआ हिंसक
दिल्ली के जामिया नगर इलाके में इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन ने रविवार को हिंसक रूप ले लिया, इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने बस, बाइक, गाड़ियों में आग लगा दी जिससे हालात बिगड़ते चले गए. दिल्ली पुलिस ने भी जामिया कैंपस में घुसकर छात्रों पर जमकर लाठियां बरसाईं. वहीं, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भी पुलिस और छात्रों के बीच झड़प हुई. इसके बाद यूपी प्रशासन ने कई जिलों में इंटरनेट बंद कर दिए हैं.