प्रदूषण फैलाने वाली पराली से किसानों को मात्र 20 रुपये में मिलेगी निजात, वैज्ञानिकों ने बनाई ‘खास’ दवा
राष्ट्रीय जैविक खेती संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दवा बनाई है जो किसानों की इस समस्या को दूर कर सकते हैं।
नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में फैले प्रदूषण के लिए पंजाब-हरियाणा जैसे राज्यों में जलाई जाने वाली पराली को जिम्मेदार बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि इन दो राज्यों में किसानों द्वारा फसल की कटाई की बाद बड़े स्तर पर जलाई गई पराली की वजह से दिल्ली गैस चेंबर बन गया है. दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की मौजूदा स्थिति को देखते हुए पंजाब-हरियाणा सरकार ने पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. हालांकि, किसानों का कहना है कि पराली को खेतों से निकालने पर होने वाले अतिरिक्त खर्च से बचने के लिए वह इसमें आग लगाते हैं. लेकिन अब राष्ट्रीय जैविक खेती संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दवा बनाई है जो किसानों की इस समस्या को दूर कर सकते हैं।
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बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य के हरदोई जिले में खेतों में फसलों के अवशेष (पराली) जलाने वाले किसानों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है. शनिवार को उड़नदस्तों ने जिले के पांचों तहसील क्षेत्रों में पराली जलाने वाले 66 किसानों पर 2 लाख 32 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. जिलाधिकारी पुलकित खरे ने रविवार को बताया कि इसके लिए सभी तहसीलों में उपजिलाधिकारियों के नेतृत्व में उड़नदस्ते गठित किए गए हैं. इनमें संबंधित क्षेत्र के सीओ और दो-दो अन्य कर्मी शामिल हैं. जिले की पांचों तहसीलों में विशेष अभियान चलाया गया।
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उन्होंने बताया कि शाहाबाद तहसील क्षेत्र के ग्राम आगमपुर, सिकंदरपुर नरकतरा में पराली जलाने वाले 46 किसानों पर 1,72,500 रुपए का जुर्माना लगाया गया. यहां लापरवाही पर कृषि विभाग के तकनीकी सहायक मोहम्मद खालिद और क्षेत्रीय लेखपाल राजीव कुमार को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है. इसके साथ ही चेतावनी भी दी गई है कि अब इनके क्षेत्रों में अगर पराली जलने की सूचना मिली तो निलंबन की कार्रवाई की जाएगी. खरे ने बताया कि सवायजपुर तहसील क्षेत्र के ग्राम बसिया और सहजनपुर में पांच किसानों पर 15,750 रुपए का जुर्माना लगाया गया।
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वहीं सदर तहसील क्षेत्र में कन्हेरी, पुरौरी, ऐजा फार्म, कनेरी में 13 किसानों पर 38,750 रुपए और बिलग्राम में दो किसानों पर पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया. कृषि उपनिदेशक आशुतोष मिश्र ने बताया कि हर खेत का गाटा संख्या पूरे ब्यौरे के साथ अपलोड किया जा चुका है. प्रदूषण रोकने की कवायद में निगरानी सेटेलाइट से हो रही है. कोई भी किसान पराली जलाएगा तो सेटेलाइट पर उसकी रिकार्डिंग हो जाएगी. बाद में ब्यौरा संबंधित जनपद के उपनिदेशक कृषि के पास पहुंच जाएगा और फिर जुर्माने की कार्रवाई होगी।