देवास

मूल्यानुगत मीडिया संंभावना और चुनौतियां- कमल दीक्षित की पुस्तक का विमोचन

देवास। भोपाल में पत्रकारिता को लेकर बहुत सी संगोष्ठियां कार्यशालाएं होती रहती हैै। लेकिन प्रो. कमल दीक्षित की पुस्तक का विमोचन समारोह कार्यक्रम एक ऐसी यादगार लम्हा बनकर रह गई। जहां पत्रकारिता के सभी योद्धा मौजूद थे। उन्होंने अपने अपने विचार बड़ी बेबाकी के साथ रखकर पत्रकारिता में तेजी से पैर पसार रही मूल्यहीनता पर एक सार्थक बहस की। इस गरिमामय कार्यक्रम में फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा, पत्रकार पंकज शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार एन.के.सिंह, दैनिक भास्कर नागपुर के प्रकाश दुबे, सूचना आयुक्त व पत्रकार विजय मनोहर तिवारी, टीवी पत्रकार राजेश बादल, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता संस्थान के कुलपति दीपक तिवारी जैसे चिंतक उपस्थित थे। स्वागत भाषण पुस्तक के रचियता प्रो. कमल दीक्षित ने देतेे हुए कहा कि सोशल मीडिया के आने केे बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस पुस्तक में मीडिया की चुनौतियां क्या हैं, कारण टटोलने व उपाय पर फोकस किया गया है। पत्रकारिता संस्थान के कुलपति दीपक तिवारी ने दीक्षित के बारे में कहा कि वह गत 40 वर्षो से साक्षी भाव के साथ पत्रकारिता का बीड़ा उठाए हुए हैं। पत्रकारिता को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि जिसकी कोई आवाज नहीं होती उसके लिए खड़ा होना सच्ची पत्रकारिता है। पंकज शर्मा ने पत्रकारिता के गिरते स्तर व पूंजीपतियों केे हाथ का खिलौना बनने पर चिंता व्यक्त की और यही कारण है कि पत्रकारिता अपने मिशन से भटक रही है। राजेश बादल ने गांधीजी की पत्रकारिता पर प्रकाश डाला। पत्रकार विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि जो छुपाना चाहते ेहैं वह अपने लिए खबर है, और जो बताना चाहते हैं वह जनसंपर्क है तो हमें छुपाने वाली खबर पर ध्यान देना चाहिये। एन.के.सिंह व प्रकाश दुबे ने दीक्षित की पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि वे पत्रकारिता के भीष्मपितामह है। फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा के माईक संभालने के बाद ऐसा समां बंधा कि श्रोता अपनी कुर्सी से हिले ही नहीं। राणा ने अपने अभिनय को जिस वजनदारी के साथ निभाया है उतनी ही वजनदारी से वे बोलते भी हैं। उनके पास पर्यापत शब्द संपन्नता के साथ गंभीर चिंतन एवं अध्ययन भी हैं। उन्होंने पत्रकारों पर धारा प्रवाह बोलकर उनके कार्यो की भूरी भूरी प्रशंसा की। मेर गुरू व मार्गदर्शक वरिष्ठ पत्रकार प्रो. कमल दीक्षित को राणा ने उन्हें मूल्यों पर आधारित पत्रकारिता का वटवृक्ष बताया तो तालियों की गढग़ढ़ाहट से सभागृह गूंज उठा। इसी गढग़ढ़ाहट के बीच भाव विभोर होकर मेरे आंसू छलक गए। नवभारत से मूल्यांगत मीडिया तक श्री दीक्षित ने लगातार पत्रकार व पत्रकारिता तक बिना समझौता के लिए कार्य किए है। संचालन पंकज शुक्ला ने किया तथा आभार गीत दीक्षित ने माना। उक्त जानकारी आनंद गुप्ता ने दी।