पुलिस साबित करे अभियोजन कैसे प्रभावित होगा, अन्यथा जानकारी छुपाई नही जा सकती : सूचना आयुक्त राहुल सिंह
आयोग ने तलब की सीलबंद लिफ़ाफ़े में पुलिस की जांच रिपोर्ट। रीवा DIG से तलब हुई सीधी के पत्रकार के ऊपर कथित झूठे मामले पर पुलिस की जांच रिपोर्ट। एसपी सीधी के पत्र में केस डायरी DIG रीवा को मार्गदर्शन के लिए भेजने का जिक्र पर केस डायरी के संलग्न दस्तावेज़ में नहीं है DIG रीवा के दिशा निर्देश। पुलिस ने कहा धारा 8 1 H (ज) के तहत जानकारी सामने आने से अभियोजन ही सकता है प्रभावित। 2015 में दर्ज़ हुआ था सीधी के एक पत्रकार के ख़िलाफ़ 384 का केस। केस दर्ज़ होने के बाद पत्रकार की शिकायत पर की गई थी उच्च अधिकारियों द्वारा जांच। पत्रकार का आरोप कि उसके द्वारा भ्रष्टाचार उज़ागर करने पर अधिकारी और पुलिस की मिलीभगत से हुआ था दर्ज़ झूठा मामला। बाद में जांच रिपोर्ट दबा दी गयी और चालान कोर्ट में पेश कर दिया गया। पुलिस के तर्क को नकारते हुए सूचना आयुक्त राहुल सिंह कहा कि “अभियोजन प्रभावित होगा कहने मात्र से जानकारी नहीं छुपाई जा सकती है पुलिस को साबित करना होगा की जानकारी सामने आने से अभियोजन किस तरह से प्रभावित हो सकता है। सूचना आयुक्त ने अपने फैसले में ये भी कहा कि अगर इस प्रकरण में जांच पूरी हो चुकी है और किसी दोषी व्यक्ति की गिरफ़्तारी या उसके ख़िलाफ़ कोई मुकदमा दर्ज़ होना बाकी ना रहा हो तो जानकारी को छुपाया नहीं जा सकता है। पुलिस से जांच रिपोर्ट तलब करते हुए सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने पुलिस को कहा कि “इस प्रकरण मैं जो तथ्य रिकॉर्ड पर हैं वो अगर सच है तो उन्हें न्याय हित मे सामने लाना चाहिए। वही धारा 8 1 h जांच की प्रक्रिया से संबंधित है पर न्यायलय में विचाराधीन मामले में पुलिस को अपना पक्ष स्पष्ट करना होगा। मात्र धारा का उल्लेख करने से जानकारी नही छुपाई जा सकती।