सरकारी जमीन से अवैध वसूली ,अतिक्रमणों को बढ़ावा ,शहर को स्मार्ट सिटी योजना …..
उज्जैन। शहर को स्मार्ट सिटी योजना मे शामिल जरर कर लिया गया है। लेकिन अतिकमण काहाल यह है कि शहर के व्यस्ततम मार्गोे पर ही सरकारी जमीन घेर कर कब्जा कर लिया गया है। आश्श्च्र्य तो इस बात का है कि इन कब्जो का किराया भी वसूला जा रहा है।
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि स्मार्ट सिटी में हर शासकीय व्यवस्था स्मार्ट तरीके से होनाचाहिए, हो यह रहा है कि नाम के लिए शहर स्मार्ट सिटी योजना में शामिल है। पुरानी शासकीय योजनाओं का क्रियान्वयन तो सही तरीके से हो नहीं पा रहा है और कागजों में नई-नई योजनाएं घोषित की जा रही है। उदाहरण के लिए ऑटो चालकों को प्री-पेड बूथ सुविधा लगभग २० वर्ष पूर्व शुरू की गङ्र्ग। लेकिन इसमें कई बूथ तो नाम के हैं और जो संचालित हैं उसमें २० वर्ष पूराने ऑटो रिक्शा की किराया सूची आज भी संचालित है। यातायात पुलिस की इसकारगुजारी पर कोई ध्यान नहीं देता। जबकि दूसरी ओर शहर के स्मार्ट बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने का वादा कियाजा रहा है। सिटी बसें चलाई जरूर जा रही है लेकिन कई बसें आज भी भंगार में पड़ी हैं। आश्चर्य तो यह है कि सिटी बसों के स्टॉप के लिए सिटी बस स्टॉप ही नहीं बने। जो बने हैं उनमें चाय के ङ्खेले लग रहे हैैं।
शहर के अतिक्रमण की यह हालत है कि मुख्य मार्गों पर ही अतिक्रमण हो रहा है।। देवासगेट बस स्टैंण्ड से श्री महाकालेश्वर मंदिर जाने वाले मार्ग पर ही ढेरों अतिक्रमण हैं। इसके अलावा घरों के सामने शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर दूकान संचालित करने वालों से इन घरों के मालिक ही किरया वसूल रहे हैं और अतिक्रमण करवा रहे हैं। सरकारी जमीन पर होने वाले अतिक्रमण करवा रहे हैं। सरकारी जमीन पर होने वाले अतिक्रमण के लिए काफी हद तक जनप्रतिनिधि भी दोषी हैं। लेकिन सबसे अधिक जिम्मेदारी यातायात पुलिस की है। शहर के व्यस्ततम मार्गो पर होने वाले अतिक्रमण से नगर निगम पैसा वसूलता है। प्रतिदिन इन अतिक्रमण करने वालों को नगर निगम निश्चित राशि वसूल कर रसीद भी देता है। यानि कि नगर निगम स्वयं इन अतिक्रमणों को बढ़ावा देता है। अतिक्रमणकारियों से वसूल की गई राशि भी निगम के खाते में जमा नहीं हो पाती है और यह राशि वसूलकर्ता की जेब में तक ही रह जाती हैं अतिक्रमण से मुक्त सड़के किसकी जवाबदारी है यह भी तय नहीं हो पारहाहै। नगर निगम कहता है कि स्थानीय पार्षद की जिम्मेदारी है। यातायात पुलिस कहती है सम्बन्धितथाने की जिम्मेदारी है।