देवास

संगठित मजदूर आंदोलन की ताकत से ही पूंजी पतियों को हराया जा सकता है- सुनील गोपाल

देवास। पूंजीपतियों के इशारों पर केंद्र सरकार ने 44 श्रम कानूनों को 4 में तब्दील कर कई ऐसे प्रावधान किए हैं जिनसे मजदूरों के जायद हक खत्म कर पूंजी पतियों को और अधिक शोषण करने के अधिकार मिल गये हैं। दुनिया भर में पूंजीपति और मजदूर वर्ग के बीच जंग जारी है, संगठित मजदूर आंदोलन से ही इस पूंजीपति को हराना संभव है। यह बात श्रमिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए एआई यूटीयूसी के राज्य सचिव कामरेड सुनील गोपाल ने कही। मंडी धर्मशाला में आयोजित इस सम्मेलन के मुख्य वक्ता के तौर पर मजदूर आंदोलन के गौरवपूर्ण इतिहास और संघर्ष की दास्तां बताते हुए मजदूरों को और संघर्ष तेज करने की अपील की। कार्यक्रम को ए आई यू टी यू सी के प्रदेश अध्यक्ष कॉमरेड जे सी बर ई ने संबोधित करते हुए कहा कि सरकार है लंबे समय से श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 18000 करने पर सहमति जताती आई है और वर्तमान केंद्र सरकार ने न्यूनतम वेतन 4600 रुपए करके अपनी सहमति से विपरीत कदम उठाया। आज जब दुनियाभर में मजदूरों की हालत दयनीय बनती जा रही है सरकार की गलत नीतियों और मालिक के शोषण के कारण लगातार महंगाई बढ़ाए जाने से लोगों की क्रय क्षमता खत्म हो गई, दो वक्त की रोटी खा पाना भी मजदूरों के लिए मुश्किल हो गया। ऐसे में कानूनी रूप से मालिकों के हाथ में और अधिक शोषण का हथियार दिया गया है फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट व श्रम कानून संहिता यही प्रावधान दे रहे हैं। आए दिन बड़ी संख्या में मजदूरों को नौकरी से निकाला जा रहा है नए-नए तरीकों से स्थाई नौकरियों पर हमले हो रहे हैं। इन हमलों को रोकना वक्त की जरूरत है। संगठन के जिला प्रभारी हिमांशु श्रीवास्तव ने संबोधित करते हुए कहा कि भंडारी फाईल्स आजाद मजदूर यूनियन व आराध्य डिस्पोजल की महिलाओं के द्वारा चलाए गए मजदूर आंदोलनों के 1 वर्ष ने यह साबित कर दिया है कि संगठित मजदूरों की ताकत बड़े-बड़े उद्योगपतियों को धूल चटा सकती है। आज भंडारी यूनियन के के मजदूरों की एकता पूरे शहर के लिए एक उदाहरण है जो विषम परिस्थितियों के बावजूद भी नहीं टूटी है। कार्यक्रम को एलआईसी यूनियन के मंडल उपाध्यक्ष मोहन जोशी ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन कॉमरेड सुनील सिंह डोडिया राजपूत ने किया। श्रमिक सम्मेलन में सैकड़ों की संख्या में विभिन्न कंपनियों से श्रमिक शामिल हुए।