अब सोना उगलेगा कूड़े का पहाड़, बदल जाएगी गाजीपुर लैंडफिल साइट की तस्वीर
(देवराज सिंह चौहान) नई दिल्ली: दिल्ली में खड़े कूड़े के ऊंचे ऊंचे पहाड़ों को हटाने का काम शुरु हो गया है. एमसीडी ने दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल पर एक बड़ी मशीन लगाई है. इस मशीन में लगे बैलिस्टिक सेपेरेटर और ट्रॉमेल की मदद से लैंडफिल के कूड़े को अलग अलग कर के उसे प्रोसेस कर दिया जाएगा.इसी तरह की मशीनें दिल्ली के बाकी लैंडफिल पर भी लगाई जानी है. कई साल के लंबे इंतज़ार के बाद आखिरकार दिल्ली में गाजीपुर लैंडफिल को हटाने पर काम शुरु हो गया है. पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने लैंडफिल के कूड़े को अलग करने के लिये यहां पर एक बड़ी मशीन सेट-अप की है.जिस कंपनी की तरफ से इस मशीन को लगवाया गया है वो कंपनी इसके पहले मदुरै में तीन लैंडफिल को खत्म करने पर काम कर चुकी है. मशीन के दो अहम हिस्से हैं, बैलिस्टिक सेपेरेटर और ट्रॉमेल, इसकी मदद से लैंडफिल के कूड़े को अलग अलग हिस्सों में बांट दिया जाएगा. इस मशीन के ज़रिये निकली पॉलीथीन, प्लास्टिक और कपड़े जैसी चीज़ो को एमसीडी के ही वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में भेजा जाएगा.
जहां इससे बिजली बनायी जाएगी, इसके अलावा पत्थर और मिट्टी जैसी चीज़ों को सड़क बनाने, गार्डन्स में या खेती जैसे कामों में इस्तेमाल में लाने पर विचार किया जा रहा है. दिल्ली के गाजीपुर की बात करें तो सबसे ज्यादा कचरा यहीं इकट्ठा होता है. यहां करीब 140 लाख टन कचरा इकट्ठा हो चुका है और रोज़ाना करीब 2100 मीट्रिक टन कचरा साइट पर डाला भी जा रहा है.
वहीं उत्तरी दिल्ली के भलस्वा में लैंडफिल साइट पर 85-90 लाख टन जबकि ओखला से 55 लाख टन कचरा जमा है.इस एक मशीन के ज़रिये एक दिन में 640 मीट्रिक टन कचरा अलग किया जा सकता है.