दिल्ली

33 साल बाद पूर्व IAS अधिकारी को सजा, आर्म्स एक्ट में केस था दर्ज

(देवराज सिंह चौहान) नई दिल्ली, 33 साल पुराने एक फायर आर्म्स केस में 81 साल के पूर्व आईएएस अधिकारी को 5 साल की सजा हुई है. सीबीआई कोर्ट ने शुक्रवार को सजा का ऐलान किया. एसएस अहलूवालिया नाम के ये अधिकारी 1968 बैच के आईएएस अफसर हैं जो नगालैंड के चीफ सेक्रेटरी भी रह चुके हैं. सीबीआई ने अवैध रूप से 5 फायर आर्म्स रखने के जुर्म में अहलूवालिया के खिलाफ 1987 में मामला दर्ज किया था.
साल 1992 में सीबीआई ने अपनी पहली चार्जशीट दाखिल की थी. 18 साल बाद सीबीआई ने एसएस अहलूवालिया पर आरोप तय किए. 33 साल बाद दिल्ली की एक सीबीआई अदालत ने अहलूवालिया को दोषी ठहराते हुए 5 की सजा और डेढ़ लाख रुपये जुर्माने का ऐलान किया.
अधिकारियों के मुताबिक, अहलूवालिया के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप लगा थे. इसके बाद सीबीआई ने उनके दिल्ली और कोहिमा स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी जिसमें अवैध रूप से रखे गए 5 हथियार बरामद हुए थे. सीबीआई ने 1987 में अहलूवालिया के खिलाफ मामले दर्ज किए जिनमें .38 बोर राइफल, 74 जिंदा कारतूस, 32 कारतूस सहित एनपी पिस्टल, .275 बोर की एक राइफल, 200 कारतूस सहित एक कार्बाइन और .22 बोर की एक और राइफल की बरामदगी की गई थी.
एसएस अहलूवालिया 1975-76 तक कोहिमा के डिप्टी कमिश्नर थे. 1979-84 तक गृह मंत्रालय में निदेशक थे. इसके बाद उन्हें नगालैंड का चीफ सेक्रेटरी बनाया गया. 2010 में जिस वक्त उनके खिलाफ आरोप मढ़े गए, अहलूवालिया तब नगालैंड सरकार में श्रम एवं रोजगार विभाग में सचिव थे. 33 साल बाद किसी पूर्व अधिकारी को सजा का ऐलान होने से न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं क्योंकि लगभग तीन दशक तय हाई प्रोफाइल मामला यूं ही लटकता रहा.