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अयोध्या केस: संविधान पीठ में सुनवाई शुरू; निर्मोही अखाड़ा की ओर से बहस जारी

(देवराज सिंह चौहान) नई दिल्ली: अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज भी सुनवाई जारी है. निर्मोही अखाड़ा के वकील सुशील कुमार जैन बहस कर रहे हैं. निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि वह ओनरशिप और क़ब्ज़े की मांग कर रहे हैं. ओनरशिप का मतलब मालिकाना हक नही बल्कि क़ब्ज़े से है, उन्हे राम जन्मभूमि पर क़ब्ज़ा दिया जाए.

इससे पहले, मंगलवार को करीब साढे 4 घंटे निर्मोही अखाड़ा ने अपना पक्ष रखा था. सुनवाई के दौरान निर्मोही अखाड़ा के वकील सुशील जैन ने दावा किया था कि अखाड़ा मंदिर के प्रबंधक की हैसियत से विवादित ज़मीन पर अपना दावा कर रहा है, जबकि बाकी हिंदू पक्षकार सिर्फ पूजा के अधिकार का हवाला देकर दावा कर रहे है. 1949 से वहां नमाज़ नहीं हुई, लिहाजा मुस्लिम पक्ष का कोई दावा नहीं बनता.

सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा से सवाल किया था कि 1949 में सरकार ने ज़मीन पर कब्ज़ा किया, निर्मोही अखाड़े ने 1959 में कोर्ट का रुख किया, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने 1961 में मुकदमा दायर किया.क्या ये सिविल केस में दावे के लिए मुकदमा दायर करने की समयसीमा का उल्लंघन नहीं करता? निर्मोही अखाड़ा की ओर से सुशील जैन ने जवाब दिया था कि ज़मीन पर हमारा दावा पुराना है, ऐतिहासिक है और1934 से हमारा कब्जा है.समयसीमा का यहां उनकी ओर से उल्लघंन नहीं हुआ है.
इससे पहले मंगलवार को सुबह सुनवाई के दौरान पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष के एन गोविंदाचार्य की ओर से वकील वान्या गुप्ता ने अयोध्या मामले की सुनवाई की ऑडियो रिकॉर्डिंग या फिर संसद की तर्ज पर लिखित ट्रांसक्रिप्ट तैयार कराने की मांग की थी. CJI ने उक्त मांग को स्वीकार करने से फिलहाल इंकार किया था.उन्होंने कहा था कि पहले मामले की सुनवाई शुरू होने दे. निर्मोही अखाड़ा की ओर से पेश वकील सुशील जैन ने कहा था कि बरसों से इस जमीन और मंदिर पर अखाड़े का अधिकार रहा है.पहले शुरू से केस स्टेटस और तथ्यों पर पेश की दलीलें जायेंगी.साथ ही पक्षों के अधिकार के आधार पर होगी बहस.पहला मुकदमा 1959 में निर्मोही अखाड़े ने दायर किया जब जमीन छीन ली गई थी.