कूड़े के कारण सिमट गई है बराकर नदी, लोगों को हो रही परेशानी
(देवराज सिंह चौहान) कोडरमा : हर तरफ जल संकट गहराता जा रहा है. नदियों का जलस्तर कम होता जा रहा है. वहीं, प्रदूषण और कूड़े-कचरे की वजह से कई जगह नदियां संकुचित होती जा रही है. कोडरमा में भी हालात कुछ ऐसे ही है. कई गांवों से गुजरने वाली बराकर नदी का पानी जयनगर प्रखंड पहुंचते-पहुंचते सिमट जाता है.
बराकर नदी का पानी अब किसी तालाब के स्वरूप में दिखने लगा है. प्रदूषण और गंदगी की वजह से जयनगर प्रखंड पहुंचते-पहुंचते नदी तालाब के रूप में संकुचित होता नजर आ रहा है. लोग भी मानते हैं कि पहले तालाब का पानी पीने के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब प्रदूषण और गंदगी की वजह से इस पानी का इस्तेमाल किसी भी रूप में नहीं किया जाता.
बराकर नदी का पानी सबसे पहले कोडरमा और हजारीबाग की सीमा पर बसे तिलैया डैम में जाकर मिलता है. उसके बाद यह पानी कोडरमा के कई गांवों से होते हुए जयनगर प्रखंड के दर्जनों नदियों को जोड़ता है. बराकर नदी के पानी को लोग जयनगर प्रखंड में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए पीने के रूप में भी इस्तेमाल किया करते थे, लेकिन अब हालात यह हो गया है कि नदियां संकुचित हो गई हैं. उनके जलस्तर में भी कमी आई है.
लोगों के मुताबिक, जल्द ही सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर इसके उपाय नहीं किए गए तो लोगों को पानी के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ सकती है. इसका कारण होगा नदियों का संकुचित होना.
ऐसा नहीं है कि कोडरमा के इस बराकर नदी में सिर्फ लोगों के घरों का कचरा फेंका जाता है, बल्कि कोडरमा थर्मल पावर प्लांट बनने के बाद उसकी गंदगी भी इन्हीं नदियों के आसपास बहायी जाती है. बहरहाल सामाजिक सरोकार से जुड़े लोग यह मानते हैं कि जल संचयन को लेकर जो अभियान चलाया जा रहा है उसमें सरकार के साथ आम लोगों को भी सहभागिता निभानी चाहिए.