सहकारी उपभोक्ता भंडारों पर नहीं मिल रही दवा, पेंशनर्स के बकाया पैसे अटके
(देवराज सिंह चौहान) जयपुर: राजस्थान में सहकारी उपभोक्ता भंडारों को पेंशनर्स का जीवन रक्षक कहा जाता था, लेकिन अब बुढ़ापे में यही रक्षक भक्षक बन गए है. क्योंकी ना तो सरकारी दुकानों पर दवा मिल रही है और ना ही बकाया बिलों का भुगतान किया जा रहा है. एनएसी क्लेम के जरिए उपभोक्ताओं को दवा का आप्शन तो दिया जा रहा है, लेकिन वो भी महीनों से करोडों रूपए बकाया चल रहा है. जिस कारण उम्र के इस पड़ाव में भी पेंशनधारियों को अपनी जेब से पैसा महंगी दवा खरीदनी पड़ रही है.
सहकारिता विभाग ने सहकारी उपभोक्ता भंडार तो हर जिले में खुले हुए है, लेकिन इन भंडारों से पेंशनधारियों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की दवा नहीं मिल रही है.
इसके अलावा पेंशनर्स की बकाया बिलों और क्लेम की राशि का भूगतना लंबे समय से नहीं हो सका है. ऐसे में मरीजों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. 20 जुलाई से सरकारी दुकानों पर फिर से दवा उपलब्ध होने का दावा करने वाले सहकारिता विभाग की पोल खुल गई.उपभोक्ता भंडार के इन दुकानों पर दवा मिल ही नहीं रही. बल्कि मरीज रोजाना परेशान हो रहे है. जबकि रजिस्ट्रार नीरज के पवन ने ये दावा किया था कि 20 जुलाई से सभी दवा की दुकानों पर मरीजों को सभी आवश्यक दवाईयां मिलेगी. लेकिन आज भी दवा की दुकानों की हालत पहले जैसी दिखाई दे रही है.
जीवन रक्षक दुकानों से पेंशनर्स को दवा का दर्द ही नही ,बल्कि करोडों रूपए का बकाया भी चल रहा है. पेंशनर्स के 175 करोड़ रूपए बकाया चल रहे है. जिसमें से पेंशनर्स के बकाया बिल ही 137 करोड़ शामिल है. जबकि एनएसी क्लेम पेंट का बकाया भी 7 करोड 64 लाख है. एनएसी क्लेम बकाया उन्हे कहते है, जो दवाएं इन उपभोक्ता भंडारों पर नहीं मिलती तो दूसरी दवा की दुकानों से पेंशनधारी दवा खरीदता है.कॉनफैड का ही अभी तक 58 करोड 85 लाख रूपए बकाया चल रहा है. हालांकि बकाया बिलों के भुगतान के लिए सरकार ने 50 करोड की राशि स्वीकृत की है,लेकिन ये राशि तो उंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है.
करोडा बकाया,पेंशनर्स टेंशन में
जिला बकाया
कोटा 36 करोड 45 लाख
उदयपुर 21 करोड 47 लाख
जोधपुर 9 करोड 17 लाख
अजमेर 5 करोड 93 लाख